Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद] - [219 . [2] एतेसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? ___ गोयमा ! सव्वस्थोवा पुढविकाइया अपज्जत्तगा, पुढविकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा / [235-2 प्र.] भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक पृथ्वीकायिकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [235-2 उ.] गौतम ! सबसे अल्प पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक हैं, (उनसे) पृथ्वीकायिक पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं / [3] एतेसि णं भंते ! अाउकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सम्वत्थोवा पाउकाइया अपज्जत्तगा, पाउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा / [235-3 प्र.] भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक अप्कायिकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [235-3 उ.] गौतम ! सबसे कम अप्कायिक अपर्याप्तक हैं, (उनसे) अप्कायिक पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं। [4] एतेसि णं भंते ! तेउकाइयाणं पज्जताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सम्वत्थोवा तेउकाइया प्रपज्जत्तगा, तेउक्काइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा / [235-4 प्र.] भगवन् ! तेजस्कायिक पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [235-4 उ.] गौतम ! सबसे कम अपर्याप्तक तेजस्कायिक हैं। (उनसे) पर्याप्तक तेजस्कायिक संख्यातमुगे हैं। [5] एतेसि णं भंते ! वाउकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वाउकाइया अपज्जत्तगा, वाउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा / / [235-5 प्र.] भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक वायुकायिकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [235-5 उ.] गौतम ! सबसे अल्प अपर्याप्तक वायुकायिक हैं, (उनसे) पर्याप्तक वायुकायिक संख्यातगुणे हैं। [6] एएसि णं भंते ! वणस्सइकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्तगाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवा वणफइकाइया अपज्जत्तगा, वणप्फइकाइया पज्जलगा संखेज्जगुणा / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org