Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ [प्रज्ञापनासूत्र . [411-3 प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में परिगृहीता पर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [411-3 उ.] गौतम ! जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की और उत्कृष्ट अन्तमुहूर्त कम सात पल्योपम की है। 412. [1] सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमं, उक्कोसेणं पण्णासं पलिपोवमाई / [412-1 प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में अपरिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [412-1 उ.] गौतम ! जघन्य एक पल्योपम को और उत्कृष्ट पचास पल्योपमों की है / [2] सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं / [412-2 प्र. भगवन् ! सौधर्मकल्प में अपरिगृहीता अपर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है? [412-2 उ.] गौतम ! उनकी जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है। [3] सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं पलिप्रोवमं अंतोमुत्तूणं, उक्कोसेणं पण्णासं पलिप्रोवमाइं अंतोमुहुतूणाई। 1412-3 प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में अपरिगृहीता पर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [412-3 उ.] गौतम ! (उनकी स्थिति) जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचास पल्योपमों की है / 413. [1] ईसाणे कप्पे देवाणं पुच्छा / गोयमा! जहण्णेणं सातिरेगं पलिप्रोवम, उक्कोसेणं सातिरेगाई दो सागरोवमाई। [413-1 प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [413-1 उ.] गौतम ! जघन्य एक पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट कुछ अधिक दो सागरोपम की है। [2] ईसाणे कप्पे अपज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहष्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुतं / [413-2 प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org