________________ 520 ] [प्रज्ञापनासून त्रिविध योनि वालों और प्रयोनिकों का अल्पबहुत्व-सबसे थोड़े जीव शीतोष्ण योनि वाले होते हैं, क्योंकि शीतोष्ण योनि वाले सिर्फ भवनपति देव, गर्भज तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय, गर्भज मनुष्य, व्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देव ही हैं। उनसे असंख्यातगुणे उष्णयोनिक जीव हैं, क्योंकि सभी सूक्ष्म-बाद भेदयुक्त तेजस्कायिक, अधिकांश नैरयिक, कतिपय पथ्वीकायिक, अप्कायिक, वायूकायिक तथा प्रत्येक बनस्पतिकायिक उष्णयोनिक होते हैं। उनकी अपेक्षा अयोनिक (योनिरहित-सिद्ध) जीव अनन्त गुणे होते हैं, क्योंकि सिद्ध जीव अनन्त हैं। इनकी अपेक्षा शीतयोनिक अनन्तगुणे होते हैं, क्योंकि सभी अनन्तकायिक जीव शीत योनि वाले होते हैं और वे सिद्धों से भी अनन्तगुणे हैं।' नरयिकादि में सचित्तादि त्रिविध योनियों की प्ररूपणा 754. कतिविहा णं भंते ! जोणी पण्णत्ता ? गोयमा! तिविहा जोणी पण्णता / तं जहा-सचित्ता 1 अचित्ता 2 मीसिया 3 / [754 प्र.] भगवन् ! योनि कितने प्रकार की कही गई है ? [754 उ.] गौतम ! योनि तीन प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार-(१) सचित्त योनि, (2) अचित्त योनि और (3) मिश्र योनि / 755. रइयाणं भंते ! कि सचित्ता जोणी प्रचित्ता जोणी मीसिया जोणी? गोयमा ! नो सचित्ता जोणी, अचित्ता जोणी, णो मीसिया जोणी। [755 प्र.] भगवन् ! नरयिकों की क्या सचित्त योनि है, अचित्त योनि है अथवा मिश्र योनि होती है ? [755 उ.] गौतम ! नारकों की योनि सचित्त नहीं होती, अचित्त योनि होती है, (किन्तु) मिश्र योनि नहीं होती। 756. असुरकुमाराणं भंते ! कि सचित्ता जोणी प्रचित्ता जोणी मोसिया जोणी? गोयमा ! नो सचित्ता जोणी, अचित्ता जोणी, नो मीसिया जोगी। [756 प्र.] भगवन् ! असुरकुमारों की योनि क्या सचित्त होती है, अचित्त होती है अथवा मिश्र योनि होती है ? [756 उ.] गौतम ! उनके सचित्त योनि नहीं होती, अचित्त योनि होती है, (किन्तु) मिश्र योनि नहीं होती। 757. एवं जाव थणियकुमाराणं / [757] इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक की योनि के विषय में समझना चाहिए। 758. पुढविकाइयाणं भंते ! कि सचित्ता जोणी प्रचित्ता जोणी मीसिया जोणी ? गोयमा ! सचित्ता वि जोणी, प्रचित्ता वि जोणी, मीसिया वि जोणी। 1. प्रज्ञापनासूत्र मलय. वृत्ति, पत्रांक 225-226 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org