Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ M or m 9 अट्ठाईसवाँ आहारपद [121 रूप से समझने के लिए नीचे एक तालिका दी जा रही है, जिससे आसानी से वैमानिक देवों की आहारेच्छा के काल को समझा जा सके। कम वैमानिकदेव का नाम जघन्य आहारेच्छाकाल उत्कृष्ट प्राहारेच्छा काल सौधर्मकल्प के देव दिवस-पृथक्त्व दो हजार वर्ष ईशानकल्प के देव कुछ अधिक दिवस-पृथक्त्व कुछ अधिक दो हजार वर्ष सनत्कुमारकल्प के देव दो हजार वर्ष सात हजार वर्ष माहेन्द्रकल्प के देव कुछ अधिक दो हजार वर्ष कुछ अधिक 7 हजार वर्ष ब्रह्मलोक के देव सात हजार वर्ष दस हजार वर्ष लान्तककल्प के देव दस हजार वर्ष चौदह हजार वर्ष महाशुक्रकल्प के देव चौदह हजार वर्ष सत्तरह हजार वर्ष सहस्रारकल्प के देव सत्तरह हजार वर्ष अठारह हजार वर्ष मानतकल्प के देव अठारह हजार वर्ष उन्नीस हजार वर्ष प्राणतकल्प के देव उन्नीस हजार वर्ष बीस हजार वर्ष प्रारणकल्प के देव बीस हजार वर्ष इक्कीस हजार वर्ष अच्युतकल्प के देव इक्कीस हजार वर्ष बाईस हजार वर्ष अधस्तन-अधस्तन बाईस हजार वर्ष तेईस हजार वर्ष ग्रैवेयक देव अधस्तन-मध्यम तेईस हजार वर्ष चौवीस हजार वर्ष ग्रैवेयक देव अधस्तन-उपरितन चौवीस हजार वर्ष पच्चीस हजार वर्ष मध्यम-अधस्तन पच्चीस हजार वर्ष छव्वीस हजार वर्ष मध्यम-मध्यम छन्वीस हजार वर्ष सत्ताईस हजार वर्ष मध्यम-उपरिम " सत्ताईस हजार वर्ष अठाईस हजार वर्ष उपरिम-अधस्तन अठाईस हजार वर्ष उनतीस हजार वर्ष उपरिम-मध्यम' " उनतीस हजार वर्ष तीस हजार वर्ष उपरिम-उपरिम' " तीस हजार वर्ष इकत्तीस हजार वर्ष विजय-वैजयन्त-जयन्त इकत्तीस हजार वर्ष तेतीस हजार वर्ष अपराजित देव 23 सर्वार्थसिद्ध देव ___ अजघन्य-अनुत्कृष्ट तेतीस हजार वर्ष 1. (क) प्रज्ञापना. मलयवत्ति, अ. रा. कोष 506 (ख) प्रज्ञापना. प्रमेयबोधिनी टीका भा.५प.५९२-६०२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org