Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 1505
________________ 310] [प्रज्ञापनासूत्र 24 57 पुण्णभद्द पुत्तंजीवय पुष्फर्विटिया पुप्फुत्तरा पुमग्राणमणी पुमपण्णवणी पुमवयण पुमक्यू पुरिसलिंगसिद्ध पुरिसवेय 1693 1319 1312 243 244 22 102 1229 1003 पुलय 74 448 211 192 बादरकाय 40 बादरणाम बादरणिगोय 1238 वादरतसकाइय 834 बादरतेउकाइय 835 बादरनिगोद 857 वादरपुढविकाइय 833 बारवती 16 बालिंदगोव 1691 बाहिरपुक्खरद्ध 24 बिडाल 65 बुद्धबोहिय 56 बुद्धबोहियसिद्ध 98 बेइंदिय 1098 बोंदि 1112 भडग 1231 भत्ति 1326 भयणि स्सिया 106 भयसण्णा 107 भरिली 1420 भवचरिम 57 भवणवइ 1693 भवधारणिज्ज 973 भवपच्चइय 1105 भवसिद्ध 98 भवियदश्वदेव भवोवग्गहकम्म 88 भवोक्वातगति 187 भंडवेयालिय 195 भंडार 39 भारंडपक्खी 1085 भाव 1105 भावचरिम 1226 भावसच्चा (भाषाप्रभेद) 201 भाविदिय पुलग पूलाकिमि पुलिंद पुग्वविदेह पुत्ववेयाली पेहुण पोग्गलपरियट्ट पोत्थार पोलिदी पोसहोववास फलविटिय फासणाम फासिदिय फुसमाण गति बउस बब्बर बलागा बलि बहस्सति बहुबीयग बंधणच्छेयणगति बंधणविमोयणगति बंधुजीवन बंभलोन 725 812 1097 1529 1982 1392 1470 2170 1099 105 106 87 110 829 862 1064 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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