Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
________________ 87 212 1737 862 1732 95 समुद्दवायस सम्मत्त 866 सम्मत्तवेदणिज्ज 774 सम्मतसच्च 95 सम्मामिच्छत्त 197 सम्मामिच्छद्दिट्ठि 98 सम्मुच्छिममणुस्स 2174 सयपुष्फिंदीवर 2174 सयंबुद्ध सयंभुरमणसमुद्द 49 115 118 85 314] वेसाणिय वोक्काण वोयड (भाषाभेद) सक्करप्पभा सक्कुलिकण्ण सक्क सग सच्चमणजोग सच्चवइजोग सजोगिकेवली सणंकुमार सणिच्छर सण्णा सण्णी सण्णिभूय सण्णिहिय सण्हबादर-पुढविकाइय सोहमच्छ सतवच्छ सतवाइय सत्त सत्तविहबंधन सत्तविहवेदन सत्ति सत्यवाह सहपरियारग सन्निहिय सप्पुरिस सबर समचउरंससंठाणणाम समय समयखेत्त समंस 1502 in र rs सरीरणाम सरीरपज्जत्ति-अपज्जत्तय सरीरसंघातणाम सरीरंगोवंगणाम सरीरोगाहणा सलिंगसिद्ध सल्ला सव्वट्ठगसिद्धदेव सव्वणिरुद्ध सव्वद्धा सहसम्मुइया सहस्सक्ख सहस्सपत्त 85 x w a 1744 1260 ___ 57 211 1581 1788 188 1108 110 197 2052 106 773 1694 1702 193 संखार संखावत्ता (योनिभेद) संखेज्जजीविय संगयणणाम 17 संठाण 1550 संथारग 54 संपराइयबंधग 86 संभिन्न संवर 56 संवुक्क 2174 1699 2007 72 समुग्गपक्खी समुग्धाय समुद्दलिक्खा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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