Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 1515
________________ 320] [प्रज्ञापनासूत्र 177 सारकल्लाण 41 सार 48 सिउंढि सित्ता 41 सिप्पिय 54 सिलिंधषुप्फ 54 सिंगबेर 45 सीयउरय सीवणि सीहकण्णी XXGXxx downGWK सुगंधिय 5 रत्तचंदण लउय लवंगरुक्ख लूणय लोद्ध लोयाणी लोहिणी वच्छाणी वत्थुल बलई वागली वाण वालंक वासंती वासंतीलया विम विहंगु वोडाण सण सतीण सत्तिवण्ण सप्पसुयंधा सप्फास समास इक्खु सयरी सरल सल्लइ सुभगा सुमणसा सुयवेय संकलितण YO सुंठ संठि सूरणकंद सूरवल्ली सेडिय सेरियय सेल सोत्थियसा G000 000 ANGM6 ससबिंदु संघट्ट साम सामलता हरडय 45 हरतणुया 45 हरितग 42 हिंगुरुक्ख 44 होत्तिय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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