________________ छत्तीसर्वा समुद्घातपद] [271 2150. एगिदिय-विलिदियाणं पुच्छा। गोयमा! तिण्णि छाउमत्थिया समुग्घाया पण्णत्ता / तं जहा-वेदणासमुग्घाए 1 कसायसमुग्धाए 2 मारणंतियसमुग्धाए 3 / णवरं वाउक्काइयाणं चत्तारि समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहावेदणासमुग्घाए 1 कसायसमुग्घाए 2 मारणंतियसमुग्घाए 3 देउब्वियसमुग्घाए 4 / [2150 प्र.] भगवन् ! एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय जीवों में कितने छाद्मस्थिकसमुद्घात कहे हैं ? [2150 उ.] गौतम ! इनमें तीन समुद्घात कहे हैं / यथा--(१) वेदनासमुद्घात, (2) कषायसमुद्घात, (3) मारणान्तिकसमुद्घात / किन्तु वायुकायिक जीवों में चार छाद्मस्थिकसम द्घात कहे हैं / यथा-(१) वेदनासमुद्घात, (2) कषायसमुद्घात, (3) मारणान्तिकसमुद्घात और (4) वैक्रियसमुद्धात / 2151. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! पंच समुग्घाया पणत्ता। तं जहा-वेदणासमुग्घाए 1 कसायसमुग्घाए 2 मारणतियसमुग्घाए 3 वेउध्वियसमुग्घाए 4 तेयगसमुग्घाए 5 / [2151 प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों में कितने छाद्मस्थिकसमुद्घात होते हैं ? [2151 उ.] गौतम ! इनमें पांच छानस्थिकसमुद्घात कहे हैं / यथा-(१) वेदनासमुद्घात, (2) कषायसमुद्घात, (3) मारणान्तिकसमुद्घात, (4) वैक्रियसमुद्घात और (5) तैजससमुद्घात / 2152. मसाणं भंते ! कति छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता? गोयमा ! छ छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता। तं जहा-वेदणासमुग्घाए 1 कसायसमुग्घाए 2 मारणंतियसमुग्घाए 3 वेउब्धियसमुग्घाए 4 तेयगसमुग्धाए 5 आहारगसमुग्घाए 6 / [2.152 प्र.] भगवन् ! मनुष्यों में कितने छाद्मस्थिकसमुद्घात कहे हैं ? [2152 उ.] गौतम ! इनमें छह छाद्मस्थिकसमुद्घात कहे गए हैं / यथा---(१) वेदनासमुद्घात, (2) कषायसमुद्घात, (3) मारणान्तिकसमुद्घात, (4) वैक्रियसमुद्घात, (5) तैजससमुद्धात और (6) आहारकसमुद्घात / विवेचन-चौवीस दण्डकों में छादमस्थिकसमुद्घात-छद्मस्थ को होने वाले या छद्मस्थ (जिसे केवलज्ञान न हुआ हो) से सम्बन्धित समुद्घात छाद्मस्थिकसमुद्घात कहलाते हैं / केवलीसमुद्घात को छोड़कर शेष छहों छाद्मस्थिकसमुद्घात हैं / नारकों में तेजोलब्धि और आहारकलब्धि न होने से तैजस और आहारकसमुद्धात के सिवाय शेष 4 छाद्मस्थिकसमुद्घात पाये जाते हैं। असुरकुमारादि भवनपतियों तथा शेष तीन प्रकार के देवों में पांच-पांच छाद्मस्थिकसमुद्घात पाये जाते हैं, क्योंकि देव चौदह पूर्वो के ज्ञान तथा आहारकलब्धि से रहित होते हैं, प्रतएव उनमें आहारकसमुद्घात नहीं पाया जाता / पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों में भी ये ही पांच समुद्घात पाये जाते हैं। वायु. कायिकों के सिवाय शेष 4 एकेन्द्रियों और विकलेन्द्रियों में वैक्रिय, तैजस और आहारक को छोड़कर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org