Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
________________ 863 435 622 434 146 पाहिकरणिया इच्छाणुलोमा इड्ढी इत्तिरिय इत्थिवेय इरियावहियबंधग इसिपाल इसिबाइय इसी इंद इंदिय 125 111 194 2055 1702 م 198 ا ईसाण ईसाणकप्प ईसिपब्मारा उक्कड (त्रीन्द्रिय जीव) उक्कलिय उक्कामुह و ل م उवधायणिस्सिय उवरिमउवरिमगेवेज्जग उरिमगेवेज्जग 1215 उवरिममज्झिमगेवेज्जग उवरिमहेट्ठिमगेवेज्जग 1699 उवसंतकसाय 194 उवसंतकसायवीयरागदसणारिय 188 उव्वट्टण उसभणारायसंघयणणाम उसभक उसिणा 177 उस्स प्पिणी 622 उस्सासणाम उस्सासविस (सर्प विशेष) 211 एगोवत्त (द्वीन्द्रिय जीव) 57 एगखुर 57 एगजीव 95 एगट्ठिय 104 एगिदिय 1695 एगिदियजाइणाम 148 एरण्णवय 983 एरवय 151 ओघसण्णा 140 ओभंजलिया 1105 ओरालिय पोरालियमीसासरीरकायजोग प्रोहिदसण 57 कक्खड 865 कच्छभ 865 कट्टपाउयार 57 कणग 381 कणिक्कामच्छ 57 कण्णत्तिया 932 कण्णपाउरण 1006 कप्प 1702 कप्पातीय उग्गह 1272 1694 1257 725 1544 2173 1928 उच्चागो उड्ढलोप उत्तरघेउन्विन उदधिवलय उदहिकुमार उद्दिस्सपविभत्तगति उद्देहिय उद्धकवाड उप्पडा उप्पण्णमिस्सिया उप्पण्णविगयमिस्सिया उप्पाय उरपरिसप्प उरुल चग उवयोग उवयोगद्धा उवधायणाम mour xciKw 1003 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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