Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
________________ [303 1614 853 559 परिशिष्ट २-शम्दानुक्रम] अबाहा प्रभक्खाण अब्भवाल्या अब्भोवगमिया प्रभवसिद्धय अभिगम अमाइसम्मद्दिछिउव्वण्णग अमूढदिट्ठी अयोमुह (अन्तर्वीप-मनुष्य) अरवाग (म्लेच्छ जातिविशेष) अरुणवर प्रवणीय-उवणीयवयण प्रवणीयवयण अवरविदेह अवाय 1002 1938 834 1694 1003 98 1909 अविगह 1697 अंधिय 1580 अंबट्ठ 24 आइल्लन 2072 आउ 1393 आगरिस 2032 प्रागासस्थिकाय प्रागासथिम्गल 110 अागासफलिप्रोवम आण 98 प्राणमणी प्राणय 896 ग्राणुपुग्विणाम प्राभरण प्राभासिय 1006 आभिणिबोहियणाणसागारोवोग 2175 प्राभोगणिव्वत्तिय 334 अायतसंठाण 1330 पायरिय प्रायवणाम प्रारंभिया 1744 पाराहन 1533 आरिय 1690 पालावग 867 आवकहियसामाइय आवत्त प्रावलिय प्रासकण्ण 178 पासमुह प्रासालिय 1551 पासीविस 107 पाहच्च पाहारग्र 920 पाहारगसमुग्धा 918 पाहारसरीरकायजोग 976 आहारग 335 अाहारसण्णा 1118 1702 1129 899 1258 134 अविरत अवेदन अव्वोयडा असच्चामोसभासग असंखेप्पद्धप्पविट्ठ असंजयसम्मद्दिट्ठि असातावेयणिज्ज असेलेसिपडिवण्णग अस्साताबेदग अहक्खाय अहमिद अहरो? अहिगमरुई अहेलोइयगाम अंकलिवि अंगारग अंगुलपढमवग्गमूल अंगुलपयर अंगुलपुत्त अंतोमुहत्त 325 918 5 77 1124 901 1077 2173 263 725 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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