Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 1502
________________ परिशिष्ट २-शम्नानुक्रम [307 2054 270 1680 1680 1574 णिदा णिद्दा 865 णिद्दाणिद्दा 87 णिम्माणणाम 195 णिरयगतिणाम 1865 णिरयाणुपुग्विणाम शिसढ णिहत्ताउ 862 णिहि णीणिय 510 णीयागोय 1693 1709 1702 1098 @ 1003 * U MUur rr 60 MU01. 1695 णेडर * 1679 T जीवणिकाय जीवत्थिकाय जीवमिस्सिय जीवंजीव जोइसिय जोग जोगसच्च झिगिरा ठवणासच्च ठितलेस्सा ठितीचरिम ठितीणामणिहत्ताउय डोंब डोंबिलग णक्खत्त णगरणिद्धमण णम्मोहपरिमंडलसंठाणणाम णपुसगाणमणी णपुसगपण्णवणी णय गरदावणिया (?) गंगोली णंदावत्त णंदियावत्त णाग (नागकुमारदेव) णाग (द्वीप समुद्रनाम) णागफड णाण (ज्ञान) 1 A U 455 1019 1682 1685 148 m 1113 णेत्तावरण ऐत्तिय रइय गोइंदियनत्थोग्गह णोकसायवेयणिज्ज 1694 गोपज्जत्तयणोअपज्जत्तय एक तउसमिजिय तविदिय 105 तणुतणु तणुयतरी तणुवाय तप्पागारसंठिय 177 तमतमप्पभा 1003 तमप्पभा 177 तयाविस 110 तसकाइय 104 तसणाम 110 तंतुवाय 1702 तंदुलमच्छ 54 तामलित्ति 157 तिजमलपय 31 तित्थगर 107 तित्थगरणाम तीxc 2008 774 774 णात 1289 1693 106 णाम णारायसंघयणणाम णिोयजीव णिक्खुड णिग्धाय णिण्हइया 102 921 1406 1702 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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