________________ Jain Education International 156] जीवों के नाम साकारोपयोग कितने ? अनाकारोपयोग कितने ? कारण समुच्चय जीव मनुष्य आठ ही प्रकार का साकागेपयोग चारों ही प्रकार का अनाकारोपयोग क्योंकि इनमें सम्यग्दष्टि और मिथ्याष्टि दोनों प्रकार के जीव पाये जाते हैं, इस कारण आठों साकारो व चारों अनाकारोपयोग नैरयिक दस प्रकार के भवनपति पंचेन्द्रियतिर्यञ्च वाणव्यन्त र देव ज्योतिष्क देव वैमानिक देव इन सब में 6 प्रकार के-- इन सब में तीन प्रकार केमतिज्ञान. श्रुतज्ञान. अवधिज्ञान.. चक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग मत्यज्ञान; श्रुताज्ञान; विभंगज्ञान. __ अचक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग अवधिदर्शन-अनाकारोपयोग नारक, तिर्यञ्चपंचेन्द्रिय, भवनपति, बाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक ये सम्यग्दृष्टि भी होते हैं और मिथ्याष्टि भी। सम्यग्दष्टि में तीन ज्ञान, मिथ्याष्टि में तीन अज्ञान पाये जाते हैं तथा दोनों में तीन प्रकार के अनाकारोपयोग पाये जाते हैं। For Private & Personal Use Only दो प्रकार का-मति-अज्ञान, श्रुत-अज्ञान-साकारोपयोग पृथ्वीकायिकादि पांच स्थावर एकेन्द्रिय जीव द्वीन्द्रिय जीव श्रीन्द्रिय जीव चतुरिन्द्रिय जीव चार प्रकार का--मतिज्ञान. श्रुतज्ञान तथा मत्यज्ञान श्रुत-ग्रज्ञान-साकारोपयोग एक प्रकार का सम्यग्दर्शन रहित होने से दो प्रकार के अचक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग अज्ञान तथा चक्षुरिन्द्रियरहित होने से एक प्रचक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग होता है। एक ही प्रकार का-प्रचक्षुदर्शन तीनों विकलेन्द्रिय जीवों को मतिज्ञान और श्रुतज्ञान सास्वादनभाव को प्राप्त होते हुए दो प्रकार का चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन अपर्याप्तावस्था में होते हैं, इसलिए दो ' ज्ञान भी होते हैं। चतुरिन्द्रिय जीव के चक्षुरिन्द्रिय होने से चक्षुदर्शन भी पाया जाता है।' www.jainelibrary.org [प्रज्ञापनासून 1. (क) प्रज्ञापना. मलयवृत्ति अभि. भा. 2, पृ. 866-67 (ख) प्रज्ञापना. (प्रमेयबोधिनीटीका) भा. 5, पृ. 707 से 713