________________ छत्तीसवाँ समुद्घातपद] [259 गोयमा ! सम्वत्थोवा असुरकुमारा तेयगसमुग्घाएणं समोहया, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, वेयणासमुग्धाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, कसायसमुग्धाएणं समोहया संखेज्जगुणा, वेउन्धियसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा, असमोहया असंखेज्जगुणा / [2127-1 प्र.] भगवन् ! इन वेदनासमुद्घात से, कषायसमुद्घात से, मारणान्तिकसमुद्घात से, वैक्रियसमुद्घात से तथा तेजससमुद्घात से समवहत एवं असमवहत असुरकुमारों में से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [2127-1 उ.] गौतम ! सबसे कम तेजससमुद्घात से समवहत असुरकुमार हैं, (उनसे) मारणान्तिकसमुद्धात से समवहत असुरकुमार असंख्यातगुणा हैं, (उनसे) वेदनासमुद्घात से समवहत असुरकुमार असंख्यातगुणा हैं. (उनसे) कषायसमुद्घात से समवहत असुरकुमार संख्यातगुणा हैं, (उनसे) वैक्रियसमुद्घात से समवहत असुरकुमार संख्यातगुणा हैं और (इन सबसे) असंख्यातगुणा अधिक हैंअसमवहत असुरकुमार / [2] एवं जाव थणियकुमारा। [2127-2] इसी प्रकार (का कथन नागकुमार से लेकर) यावत् स्तनितकुमार तक जानना चाहिए। 2128. [1] एतेसि णं भंते ! पुढविक्काइयाणं वेदणासमुग्घाएणं कसायसमुग्धाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कयरे० ? गोयमा ! सम्वत्थोवा पुढविक्काइया मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया, कसायसमुग्धाएणं समोहया संखेज्जगुणा, वेदणासमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया, असमोहया असंखेज्जगुणा / [2128-1 प्र.] भगवन् ! इन वेदनासमुद्घात से, कषायसमुद्घात से एवं मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत तथा असमवहत पृथ्वीकायिकों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? / [2128-1 उ.] गौतम ! सबसे कम मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक हैं, उनसे कषायसमुद्धात से समवहत पृथ्वीकायिक संख्यातगुणा हैं, उनसे वेदनासमुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं और इन सबसे असमवहत पृथ्वीकायिक असंख्यातगुणे हैं / [2] एवं जाव वणप्फइकाइया। णवरं सव्वत्थोवा वाउक्काइया वेउम्बियसमुग्घाएणं समोहया, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया असंखेन्जगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, वेदणासमुग्धाएणं समोहया विसेसाहिया, असमोहया असंखेज्जगुणा। [2128-2] इसी प्रकार (अप्कायिक से लेकर) यावत् वनस्पतिकायिक तक(पृथ्वीकायिकवत् समझना चाहिए।) विशेष यह है कि वायुकायिक जीवों में सबसे कम वैक्रियसमुद्घात से समवहत वायुकायिक हैं, उनसे मारणान्तिक समुद्घात से समवहत वायुकायिक असंख्यातगुणा हैं, उनसे कषाय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org