Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 260J মানন समुद्धात से समवहत वायुकायिक असंख्यातगुणा हैं और उनसे वेदनासमुद्धात से समवहत वायुकायिक विशेषाधिक हैं तथा (इन सबसे) असंख्यातगुणा अधिक है असमवहत वायुकायिक जीव / 2126. [1] बेइंदियाणं भंते ! वेयणासमुग्घाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4 ? / गोयमा ! सव्यत्योवा बेइंदिया मारणंतियसमुग्धाएणं समोहया, वेदणासमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, कसायसमुग्धाएणं समोहया संखेज्जगुणा, असमोहया संखेज्जगुणा। [2126-1 प्र.] भगवन् ! इन वेदनासमुद्घात से, कषायसमुद्घात से तथा मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत एवं असमवहत द्वीन्द्रिय जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [2126-1 उ.] गौतम ! सबसे कम मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत द्वीन्द्रिय जीव हैं। उनसे वेदनासमुद्घात से समवहत द्वीन्द्रिय असंख्यातगुणा हैं, उनसे कषायसमुद्घात से समवहत द्वीन्द्रिय संख्यात गुणा और इन सबसे असमवहत द्वीन्द्रिय संख्यातगुणा अधिक हैं। [2] एवं जाव चरिदिया। [2126-2] इसी प्रकार (त्रीन्द्रिय और) यावत् चतुरिन्द्रिय तक (का अल्पबहुत्व जानना चाहिए।) 2130. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! वेदणासमुग्घाएणं कसायसमुग्धाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं वेउब्वियसमुग्घाएणं तेयासमुग्धाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहितो अप्या वा 4? गोयमा ! सम्वत्थोवा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया तेयासमुग्घाएणं समोहया, वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, वेदणासमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा, असमोहया संखेज्जगुणा। [2130 प्र. भगवन् ! वेदनासमुद्धात से, कषायसमुद्घात से, मारणान्तिकसमुद्घात से, वैक्रियसमुद्धात से तथा तेजससमुद्घात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक होते हैं ? [2130 उ.) गौतम ! सबसे कम तैजससमुद्धात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्च हैं, उनसे वैक्रियसमुद्धात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्च असंख्यातगुणा हैं, उनसे मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यच असंख्यातगुणा हैं, उनसे वेदनासमदघात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्च असंख्यातगुणा हैं तथा उनसे कषायसमुद्घात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्च संख्यातगुणा हैं और इन सबसे संख्यातगुणा अधिक है---असमवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्च / / 2131. मणुस्साणं भंते ! वेदणासमुग्धाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं वेउब्वियसमुग्घाएणं तेयगसमुग्घाएणं आहारगसमुग्धाएणं केवलिसमुग्धाएणं समोहयाणं प्रसमोहयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4 ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org