________________ तीसों पश्यत्तापद] - [2] एवं जाव वणस्सतिकाइया / [1957-2] इसी प्रकार (अप्कायिक से लेकर) यावत वनस्पतिकायिकों तक के (सम्बन्ध में कहना चाहिए / ) 1958. बेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा ! सागारपस्सी, णो अणागारपस्सी। से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा! बेइंदियाणं दुविहा सागारपासणया पण्णत्ता। तं जहा--सुयणाणसागारपासणया य सुयप्रणाणसागारपासणया य, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति / [1658 उ.] गौतम ! वे साकारपश्यत्ता वाले हैं, अनाकारपश्यत्ता वाले नहीं / [प्र.] भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहते हैं कि द्वीन्द्रिय साकारपश्यत्ता वाले हैं, अनाकारपश्यत्ता वाले नहीं? [उ.] गौतम ! द्वीन्द्रिय जीवों की दो प्रकार की पश्यत्ता कही है / यथा-श्रुतज्ञानसाकारपश्यत्ता और श्रुत-अज्ञानसाकारपश्यत्ता / इस कारण से हे गौतम ! ऐसा कहा जाता है कि द्वीन्द्रिय साकारपश्यत्ता वाले हैं, अनाकारपश्यत्ता वाले नहीं / 1656. एवं तेइंदियाण वि / [1656] इसी प्रकार त्रीन्द्रिय जीवों के विषय में समझना चाहिए। 1960. चरिदियाणं पुच्छा। गोयमा ! चरिदिया सागारपस्सी वि अणागारपस्सी वि / से केणठेणं०? गोयमा ! जे णं चरिदिया सुयणाणी सुतमण्णाणो ते णं चरिदिया सागारपस्सी, जे गं चरिदिया चक्खुवंसणी ते णं चरिदिया अणागारपस्सी, से तेणट्ठणं गोयमा ! एवं वुच्चति / [1960 प्र.] भगवन् ! चतुरिन्द्रिय जीव साकारपश्यत्ता वाले हैं या अनाकारपश्यत्ता वाले हैं ? 1960 उ.] गौतम ! चतुरिन्द्रिय जीव साकारपश्यत्ता वाले हैं और अनाकारपश्यत्ता वाले भी हैं। [प्र. भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि चतुरिन्द्रिय जीव साकारपश्यत्ता वाले हैं और अनाकारपश्यत्ता वाले भी हैं ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org