________________ 190] [प्रज्ञापनासूत्र तृतीय : अवधिज्ञान का संस्थानद्वार 2008. रइयाणं भंते ! प्रोही किसंठिए पण्णते ? गोयमा ! तप्पागारसंठिएपण्णत्ते। [2008 प्र.] भगवन् ! नारकों का अवधि (ज्ञान) किस प्रकार (संस्थान) वाला बताया गया है ? [2008 उ.] गौतम ! वह तप्र के आकार का कहा गया है / 2006. [1] असुरकुमाराणं भंते ! 0 पुच्छा। गोयमा ! पल्लगसंठिए / {2006-1 प्र.] भगवन् ! असुरकुमारों का अवधि(ज्ञान) किस आकार का बताया गया है ? [2006-1 उ.] गौतम ! वह पल्लक के आकार का बताया गया है / [2] एवं जाव थणियकुमाराणं / [2006-2] इसी प्रकार (नागकुमारों से लेकर) यावत् स्तनितकुमारों तक के अवधि-संस्थान के विषय में जानना चाहिए। 2010. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा / गोयमा ! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते / [2010 प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों का अवधि(ज्ञान) किस प्रकार का कहा गया है ? [2010 उ.] गौतम ! वह नाना आकारों वाला कहा गया है / 2011. एवं मणसाण वि। [2011] इसी प्रकार मनुष्यों के अवधि-संस्थान के विषय में जानना चाहिए / 2112. वाणमंतराणं पृच्छा। गोयमा ! पडहसंठाणसंठिए पण्णत्ते / [2012 प्र.] भगवन् ! वाणव्यन्तर देवों का अवधिज्ञान किस प्रकार का कहा गया है ? [2012 उ.] गौतम ! वह पटह के आकार का कहा गया है / 2013. जोतिसियाणं पुच्छा। गोयमा ! झल्लरिसंठाणसंठिए पण्णत्ते / [2013 प्र. ज्योतिष्कदेवों के अवधिसंस्थान के विषय में पूर्ववत् प्रश्न ? [2013 उ.] गौतम ! वह झालर के आकार का कहा है। 2014. [1] सोहम्मगदेवाणं पुच्छा / गोयमा ! उड्ढमुइंगागारसंठिए पण्णत्ते। [2014-1 प्र.] भगवन् ! सौधर्मदेवों के अवधि-संस्थान के विषय में पूर्ववत् पृच्छा ? [2014-1 उ.] गौतम ! वह ऊर्ध्व मृदंग के आकार का कहा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org