________________ तेतीसवाँ अवधिपद] [185 1985. सक्करप्पभापुढविणेरइया जहण्णणं तिण्णि गाउपाइं, उक्कोसेणं अधुढाई गाउआई ओहिणा जाणंति पासंति / [1985 प्र.] भगवन् ! शर्कराप्रभापृथ्वी के नारक अवधि (ज्ञान) से कितने क्षेत्र को जानतेदेखते हैं ? [1985 उ.] गोतम ! जघन्य तोन गाऊ और उत्कृष्ट साढ़े तीन गाऊ (क्षेत्र को) अवधि(ज्ञान) से जानते देखते हैं। 1986. वालुयप्पभापुढविणेरइया जहण्णेणं अड्डाइज्जाइं गाउयाई, उक्कोसेणं तिण्णि गाउाई प्रोहिणा जाणंति पासंति / _ [1986 प्र.] भगवन् ! बालुकाप्रभापृथ्वो के नारक अवधि(-ज्ञान)द्वारा कितने क्षेत्र को जानतेदेखते हैं ? [1986 उ.] गौतम ! वे जघन्य ढाई गाऊ और उत्कृष्ट तीन गाऊ (क्षेत्र को) अवधि (ज्ञान) से जानते-देखते हैं। 1987. पंकप्पभायुढविणेरइया जहणेणं दोण्णि गाउयाई, उक्कोसेणं अड्डाइज्जाई गाउप्राई प्रोहिणा जाणंति पासंति। [1987 प्र.] भगवन् ! पंकप्रभापृथ्वी के नारक अवधि (ज्ञान) से कितने क्षेत्र को जानतेदेखते हैं ? (1987 उ.] गौतम ! वे जघन्य दो गाऊ और उत्कृष्ट ढाई गाऊ (प्रमाण क्षेत्र को) अवधि (ज्ञान) से जानते-देखते हैं। 1988. धूमप्पभापुढविणेरइयाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णणं दिवढ्डं गाउअं, उक्कोसेणं दो गाउआई प्रोहिणा जाणंति पासंति / [1688 प्र.] भगवन् ! धूमप्रभापृथ्वी के नारक अवधि (ज्ञान) से कितने क्षेत्र को जानतेदेखते हैं ? [1988 उ.] गौतम ! वे जघन्य डेढ़ गाऊ और उत्कृष्ट दो गाऊ (क्षेत्र को) अवधि(ज्ञान) से जानते-देखते हैं। 1986. तमापुढवि० ? गोयमा ! जहणेणं गाउयं, उक्कोसेणं दिवड्ढे गाउयं प्रोहिणा जाणंति पासंति / [1986 प्र.] भगवन् ! तमःप्रभापृथ्वी के नारक अवधि(ज्ञान) से कितने क्षेत्र को जानतेदेखते हैं ? [1986 उ.] गौतम ! वे जघन्य एक गाऊ और उत्कृष्ट डेढ़ गाऊ (क्षेत्र को) अवधि (ज्ञान) से जानते-देखते हैं। 1660. अहेसत्तमाए पुच्छा। गोयमा ! जहणेणं श्रद्धगाउयं, उक्कोसेणं गाउयं ओहिणा जाणंति पासंति / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org