________________ अट्ठाईसवाँ आहारपद] [119 [1844. उ.] गौतम ! जघन्य चौवीस हजार वर्ष और उत्कृष्ट 25 हजार वर्ष में प्राहारेच्छा उत्पन्न होती है। 1845. मज्झिमहेट्ठिमाणं पुच्छा / गोयमा ! जहण्णणं पणुवीसाए, उक्कोसेणं छब्बीसाए। [1845 प्र.] भगवन् ! मध्यम-अधस्तन ग्रे वेयकों के विषय में प्रश्न ? [1845 उ.] गौतम ! जघन्य 25 हजार वर्ष में और उत्कृष्ट 26 हजार वर्ष में प्राहार की अभिलाषा उत्पन्न होती है। 1846. मज्झिममज्झिमाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं छव्वीसाए, उक्कोसेणं सत्तावीसाए। [1846 प्र.] भगवन् ! मध्यम-मध्यम ग्रैवेयकों की आहाराभिलाषा कितने काल में उत्पन्न होती है ? [1846 उ.] गौतम ! जघन्य 26 हजार वर्ष में और उत्कृष्ट 27 हजार वर्ष में आहारेच्छा उत्पन्न होती है। 1847. मज्झिमउवरिमाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सत्तावीसाए उक्कोसेण अट्ठावीसाए / [1847 प्र.] भगवन् ! मध्यम-उपरिम नैवेयक में प्राहारेच्छा सम्बन्धी पृच्छा ? [1847 उ.] गौतम ! जघन्य 27 हजार वर्ष और उत्कृष्ट 28 हजार वर्ष में उन्हें आहाराभिलाषा उत्पन्न होती है। 1848. उरिमहेट्ठिमाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठावीसाए, उक्कोसेणं एगूणतीसाए / [1848 प्र.] भगवन् ! उपरिम-अधस्तन ग्रैवेयकों में प्राहारेच्छा-सम्बन्धी पृच्छा ? [1848 उ.] गौतम ! जघन्य 28 हजार वर्ष में और उत्कृष्ट 29 हजार वर्ष में उन्हें आहार करने की इच्छा उत्पन्न होती है / 1846. उरिममज्झिमाणं पुच्छा / गोयमा ! जहण्णेणं एक्कूणतीसाए, उक्कोसेणं तीसाए। [1846 प्र.] भगवन् ! उपरिम-मध्यम ग्रेवेयकों में प्राहारेच्छा कितने काल में उत्पन्न होती है ? [1846 उ.] गौतम ! जघन्य 29 हजार वर्षों में और उत्कृष्ट 30 हजार वर्षों में उन्हें आहारेच्छा उत्पन्न होती है। 1850. उवरिमउवरिमगेवेउजगाणं पुच्छा। मोयमा ! जहण्णेणं तीसाए, उक्कोसेणं एक्कतीसाए / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org