________________ इक्कीसवाँ अवगाहनासंस्थानपद] 477 तेया-कम्मगाणं दोण्ह वि तुल्ला जहणिया ओगाहणा विसेसाहिया, वेउब्धियसरीरस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा, आहारगसरीरस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा, आहारगसरीरस्स जहण्णियाहितो ओगाहणाहितो तस्स चेव उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया, ओरालियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा संखेज्जगुणा, वेउव्वियसरीरस्स णं उक्कोसिया ओगाहणा संखेज्जगुणा, तेया-कम्मगाणं दोण्ह वि तुल्ला उक्कोसिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा / // पण्णवणाए भगवतीए एगवीसइमं ओगाहणसंठाणपयं समत्तं / / [1566 प्र.] भगवन् ! प्रौदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण, इन पांच शरीरों में से, जघन्य-अवगाहना, उत्कृष्ट-अवगाहना एवं जघन्योत्कृष्ट अवगाहना की दृष्टि से, कौन किससे 'अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [उ.] गौतम ! सबसे कम औदारिक शरीर की जघन्य-अवगाहना है / तैजस और कार्मण, दोनों शरीरों को अवगाहना परस्पर तुल्य है, (किन्तु औदारिक शरीर की) जघन्य अवगाहना से विशेषाधिक है। (उससे) वैक्रिय शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। (उससे) आहारक शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। उत्कृष्ट अवगाहना की दृष्टि से--सबसे कम आहारक शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना होती है। (उससे) औदारिक शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। उसकी अपेक्षा वैक्रिय शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यातगुणी है। तैजस और कार्मण, दोनों की उत्कृष्ट अवगाहना परस्पर तुल्य है, (किन्तु वैक्रिय शरीर की) उत्कृष्ट अवगाहना से असंख्यातगुणी है / जधन्योत्कृष्ट अवगाहना की दष्टि से सबसे कम औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना है / तैजस और कार्मण, दोनों शरीरों को जघन्य अवगाहना एक समान है, किन्तु औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना की अपेक्षा विशेषाधिक है / (उससे) वैक्रिय शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है / (उससे) याहारक शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। याहारक शरीर की जघन्य अवगाहना से उसी की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। (उससे) औदारिक शरीर की उकृष्ट अवगाहना संख्यात गुणी है / (उससे) व क्रिय शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है / तैजस और कार्मण दोनों शरीरों की उत्कृष्ट अवगाहना समान है, परन्तु वह व क्रिय शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना से असंख्यातगुणी है / विवेचन—पांचों शरीरों की अवगाहनाओं का अल्पबहुत्व—प्रस्तुत सूत्र (1566) में सप्तम द्वार के सन्दर्भ में पांचों शरीरों की जघन्य-उत्कृष्ट अवगाहनात्रों के अल्पबहुत्व की विचारणा की गई है। __ अवगाहनाओं के अल्पबहत्व का आशय--औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना सबसे कम है क्योंकि वह अंगुल के असंख्यातवें भागमात्रप्रमाण होती है / तैजस और कार्मण की जघन्यावगाहना परस्पर तुल्य होते हुए भी प्रौदारिक जघन्यावगाहना से विशेषाधिक इसलिए है कि मारणान्तिकसमुद् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org