Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 42) [प्रज्ञापनासूत्र कोडी सागरोपम की है / उसका अबाधाकाल तीन हजार वर्ष का है। सम्पूर्ण कर्मस्थिति (काल) में से अबाधाकाल को कम करने पर (शेष काल) कर्मनिषेक का काल है। 1698. [1] निद्दापंचयस्स णं भंते ! कम्मस्स केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं सागरोवमस्स तिग्णि सत्तभागा पलिश्रोवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; तिग्णि य वाससहस्साई अबाहा, प्रबाहूणिया कम्मठिती कम्मणिसेगो। [1698.1 प्र.] भगवन् ! निद्रापंचक (दर्शनावरणीय) कर्म की स्थिति कितने काल की कही है ? [1668-1 उ.] गौतम ! (उसकी स्थिति) जघन्य पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग कम, सागरोपम के 3 भाग की है और उत्कृष्ट तीस कोडाकोडी सागरोपम की है। उसका अबाधाकाल तीन हजार वर्ष का है तथा (सम्पूर्ण) कर्मस्थिति (काल) में से अबाधाकाल को कम करने पर (शेष) कर्मनिषेककाल है। [2] सणचउक्कस्स णं भंते ! कम्मस्स केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; तिण्णि य वाससहस्साइं प्रबाहा। [1698-2 प्र.] भगवन् ! दर्शनचतुष्क (दर्शनावरणीय) कर्म की स्थिति कितने काल की कही है ? [1698-2 उ.] गौतम ! (उसकी स्थिति) जघन्य अन्तर्म हर्त की और उत्कृष्ट तीस कोडाकोडी सागरोपम की है / उसका अबाधाकाल तीन हजार वर्ष का है / (निषेककाल पूर्ववत् है / ) 1666. [1] सातावेयणिज्जस्स इरियावहियबंधगं पडुच्च अजहण्णमणुक्कोसेणं दो समया, संपराइयबंधगं पडुच्च जहण्णेणं बारस मुहुत्ता, उक्कोसेणं पण्णरस सागरोवमकोडाकोडीमो; पण्णरस य वाससताई अबाहा०। [1666-1.] सातावेदनीयकर्म की स्थिति ईर्यापथिक बन्धक की अपेक्षा जघन्य-उत्कृष्टभेदरहित दो समय की है तथा साम्परायिक बन्धक की अपेक्षा जघन्य बारह मुहर्त की और उत्कृष्ट तीस कोडाकोडी सागरोपम की है। इसका अबाधाकाल पन्द्रह सौ वर्ष का है / (निषेककाल पूर्ववत् है।) [2] असायावेयणिज्जस्स जहणणं सागरोवमस्स तिणि सत्तभागा पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीयो; तिग्णि य वाससहस्साई अबाहा०। [1666-2.] असातावेदनीयकर्म की स्थिति जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के सात भागों में से तीन भाग को (अर्थात भाग की) है और उत्कृष्ट तीस कोडाकोडी सागरोपम की है / इसका अबाधाकाल तीन हजार वर्ष का है / (निषेककाल पूर्ववत् है) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org