________________ चौबीसवां कर्मबन्धपद] .. आयुकर्मबन्ध के साथ अन्य कर्मों का बन्ध-पायुकर्मबंधक जीव नियम से 8 प्रकृतियों का बंध करता है / 24 दण्डकवर्ती जीवों का भी इसी प्रकार कथन जानना / नाम, गोत्र व अन्तराय कर्म के साथ अन्य कर्मों का बन्ध-ज्ञानावरणीयकर्म के साथ जिन प्रकृतियों का बंध बताया है, उन्हीं प्रकृतियों का बंध इन तीन कर्मों के बंध के साथ होता है।' // प्रज्ञापना भगवती का चौवीसवां कर्मबन्धपद समाप्त / / 1. (क) पण्णवणासुत्तं (मू. पा. टि.) भाग 1, पृ. 385 से 387 तक (ख) प्रज्ञापनासूत्र (प्रमेयबोधिनी टीका) भाग 5, पृ. 467 से 484 तक (ग) मलयगिरिवृत्ति, पद 24 पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org