________________ तेईसवाँ कर्मपद] [49 [1702-18 उ.] गौतम ! इस की स्थिति जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के भू भाग की है और उत्कृष्ट बारह कोडाकोडी सागरोपम की है तथा इसका अबाधाकाल बारह सौ वर्ष का है। [16] णारायसंघयणणामए जहण्णेणं सागरोवमस्स सत्त पणतीसतिभागा पलिप्रोवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं चोद्दस सागरोवमकोडाकोडीयो; चोइस य वाससताई अबाहा० / [1702-16] नाराचसंहनन-नामकर्म की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के अ भाग की है तथा उत्कृष्ट स्थिति चौदह कोडाकोडी सागरोपम की है। इसका अबाधाकाल चौदह सौ वर्ष का है। [20] श्रद्धणारायसंघयणणामस्स जहण्णणं सागरोवमस्स अट्ट पणतीसतिभागा पलिनोवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं सोलस सागरोवमकोडाकोडीयो; सोलस य वाससताइं प्रवाहा० / [1702-20] अर्द्धनाराचसंहनन-नामकर्म की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के भू भाग की है और उत्कृष्ट स्थिति सोलह कोडाकोडी सागरोपम की है। इसका अवाधाकाल सोलह सौ वर्ष का है / [21] खीलियासंघयणे गं० पुच्छा। गोयमा ! जहणणं सागरोवमस्स णव पणतीसतिभागा पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ; अट्ठारस य वाससयाई प्रबाहा० / [1702-21 प्र.] कीलिकासंहनन नामकर्म की स्थिति के विषय में प्रश्न / [1702-21 उ.] गौतम ! इसकी जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के ई भाग की है और उत्कृष्ट स्थिति अठारह कोडाकोडी सागरोपम की है। इसका अबाधाकाल अठारह सौ वर्ष का है। [22] सेवट्टसंघयणणामस्स पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स दोणि सत्तभागा पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं बीसं सागरोवमकोडाकोडीनो; वीस य वाससयाई अबाहा० / [1702-22 प्र.] सेवार्तसंहनन-नामकर्म की स्थिति के विषय में पृच्छा ? [1702-22 उ.] गौतम ! जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के भाग की है और उत्कृष्ट स्थिति बीस कोडाकोडी सागरोपम की है। इसका अबाधाकाल बीस सौ (दो हजार) वर्ष का है। [23] एवं जहा संघयणणामए छ भणिया एवं संठाणा वि छ भाणियम्वा / 1702-23] जिस प्रकार छह संहनननामकमों की स्थिति कही, उसी प्रकार छह संस्थाननामकर्मों की भी स्थिति कहनी चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org