________________ अभिमत उपप्रवत्तक तपोधन श्री सुदर्शन मुनि जैन आगम धर्म, दर्शन एवं आध्यात्मिक उच्चबोध के अपूर्व स्रोत तो हैं ही साथ ही भूगोल, खगोल, सभ्यता, संस्कृति, इतिहास आदि नाना ज्ञान विज्ञान के अनुपम भण्डार हैं। वर्तमान परिस्थिति में बदलते परिवेशानुसार आगमों पर प्रामाणिक, सारगर्भित, समालोचनात्मक एवं तुलनात्मक विवेचन की महती आवश्यकता थी। इस महत्त्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति की है—आगमविद्या के पारंगत मनीषी जैन तत्त्व के परम निष्णात् विद्वान् महान् साधक स्व. युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी महाराज ने / उनकी इस महान् देन के लिए समाज सदा उनका ऋणी रहेगा। यह कार्य उनके कीति स्तम्भ के रूप में उनकी स्मृति को सदैव स्थायी बनाये रखेगा। उनके इस महान् उपकार के लिए उनका हार्दिक अभिनन्दन करते हुए अतीव हर्षानुभूति हो रही है। इस पवित्र कार्य में तन, मन, धन से सहयोग देने वाले महानुभावों का सहयोग भी प्रशंसनीय है। श्री आगम प्रकाशन समिति द्वारा अल्प समय में प्रकाशित सुन्दर स्पष्ट एवं टिकाऊ आगम ग्रन्थों को देखकर मन बहुत प्रसन्न है / समिति के बहुतबहुत साधुवाद के साथ आशा है कि शेष आगम शीघ्र ही पढ़ने को मिलेंगे। परम पूजनीय, उपप्रवर्तक, तपोधन सम्राट् श्री सुदर्शन मुनिजी महाराज श्री महावीर जैन भवन अम्बाला शहर Jain Education International Fol Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org