________________ 30 [प्रज्ञापनासूत्रे (22) स्थावर-नाम, (23) सूक्ष्म-नाम, (24) बादर-नाम, (25) पर्याप्त-नाम, (26) अपर्याप्त-नाम, (27) साधारण-शरीरनाम, (28) प्रत्येक-शरीरनाम, (26) स्थिर-नाम, (30) अस्थिर-नाम, (31) शुभनाम, (32) अशुभनाम, (33) सुभग-नाम, (34) दुर्भग-नाम, (35) सुस्वर-नाम, (36) दुःस्वर-नाम, (37) प्रादेय-नाम, (38) अनादेय-नाम, (36) यश कीति-नाम, (40) अयशःकीतिनाम, (41) निर्माण-नाम और (42) तीर्थकर-नाम / 1694. [1] गतिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! चउबिहे पण्णत्ते। तं जहा-णिरयगतिणामे 1 तिरियगतिणामे 2 मणुयगतिणामे 3 देवगतिणामे 4 / [1664-1 प्र.] भगवन् ! गतिनामकर्म कितने प्रकार का कहा गया है ? [1664-1 उ.] गौतम ! वह चार प्रकार का कहा गया है। यथा-(१) नरकगतिनाम, (2) तिर्यञ्चगतिनाम, (3) मनुष्यगतिनाम और (4) देवगतिनाम / [2] जाइणामे णं भंते ! कम्मे पुच्छा। गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते / तं जहा-एगिदियजाइणामे जाव पंचेंदियजाइणामे / [1694-2 प्र.] भगवन् ! जातिनामकर्म कितने प्रकार का कहा गया है ? [1664-2 उ.] गौतम ! वह पांच प्रकार का कहा गया है / यथा-एकेन्द्रियजातिनाम, यावत् पंचेन्द्रियजातिनाम / [3] सरीरणामे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णते? गोयमा ! पंचविहे पण्णते। तं जहा-पोरालियसरीरणामे जाव कम्मगसरोरणामे / [1694-3 प्र.] भगवन् ! शरीरनामकर्म कितने प्रकार का कहा है ? [1664-3 उ.] गौतम ! वह पांच प्रकार का कहा गया है। यथा-औदारिकशरीरनाम यावत् कार्मणशरीरनाम। [4] सरीरंगोवंगणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णते? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते / तं जहा-ओरालियसरीरंगोवंगणामे 1 वेउब्वियसरीरंगोवंगणामे 2 माहारगसरीरंगोवंगणामे 3 / [1664-4 प्र.] भगवन् ! शरीरांगोपांगनाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [1664-4 उ.] गौतम ! वह तीन प्रकार का कहा गया है / यथा-(१) औदारिकशरीरांगोपांग, (2) वैक्रियशरीरांगोपांग और (3) आहारकशरीरांगोपांग नामकर्म / [5] सरीरबंधणणामे गं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते / तं जहा-पोरालियसरीरबंधणणामे जाव कम्मगसरीरबंधणणामे। [1694-5 प्र.] भगवन् ! शरीरबन्धननाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [1664-5 उ.] गौतम ! वह पांच प्रकार का कहा गया है। यथा-औदारिकशरीरबन्धननाम, यावत् कार्मणशरीरबन्धननाम / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org