________________ 522 ] [अनध्यायकाल 18. पतन-किसी बड़े मान्य राजा अथवा राष्ट्रपुरुष का निधन होने पर जब तक उसका दाहसंस्कार न हो, तब तक स्वाध्याय नहीं करना चाहिए / अथवा जब तक दूसरा अधिकारो सत्तारूढ़ न हो, तब तक शनैः शनैः स्वाध्याय करना चाहिए। 16. राजव्युद्ग्रह-समीपस्थ राजारों में परस्पर युद्ध होने पर जब तक शान्ति न हो जाए, तब तक और उसके पश्चात् भो एक दिन-रात्रि स्वाध्याय नहीं करें। 20. औदारिक शरीर-उपाश्रय के भातर पंचेन्द्रिय जोव का वध हो जाने पर जब तक कलेवर पड़ा रहे, तब तक तथा 100 हाथ तक यदि निर्जीव कलेवर पडा हो तो स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। अस्वाध्याय के उपरोक्त 10 कारण प्रौदारिक शरीर सम्बन्धी कहे गये हैं। 21-28. चार महोत्सव और चार महाप्रतिपदा-प्राषाढ पूर्णिमा, पाश्विन-पूर्णिमा, कार्तिकपूर्णिमा और चैत्र-पूणिमा ये चार महोत्सव हैं / इन पूर्णिमाप्रां के पश्चात् पाने वालो प्रतिपदा का महाप्रतिपदा कहते हैं। इनमें स्वाध्याय करने का निषेध है। 29-32. प्रातः, सायं, मध्याह्न और अर्धरात्रि-प्रातः सूर्य उगने से एक घड़ो पहिले तथा एक घड़ो पोछ / सूर्यास्त होने से एक घड़ो पहले तथा एक घड़ो पीछे / मध्याह्न अर्थात् दोपहर में एक घड़ी आगे और एक घड़ो पोछे एवं अर्धरात्रि में भी एक घड़ो प्रागे तथा एक घड़ी पीछे स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। 00 Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only