________________ बाईसा क्रियापद] [505 प्रकारान्तर से क्रियानों के भेद और उनके स्वामित्व को प्ररूपरणा 1621. कइ णं भंते ! किरियाओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! पंच किरियाओ पण्णत्तानो / तं जहा-आरंभिया 1 पारिग्गहिया 2 मायावत्तिया 3 अपच्चक्खाणकिरिया 4 मिच्छादसणवत्तिया 5 / [1621 प्र.] भगवन् ! क्रियाएँ कितनी कही गई हैं ? [उ.] गौतम ! क्रियाएँ पांच कही गई हैं / वे इस प्रकार-(१) प्रारम्भिकी, (2) पारिग्रहिकी, (3) मायाप्रत्यया, (4) अप्रत्याख्यानक्रिया और (5) मिथ्यादर्शन-प्रत्यया / 1622. प्रारंभिया णं भंते ! किरिया कस्स कज्जति ? गोयमा ! अण्णयरस्सावि पमत्तसंजयस्स / [1622 प्र.] भगवन् ! प्रारम्भिकी क्रिया किसके होती है ? [उ.] गौतम ! किसी प्रमत्तसंयत के होती है / 1623. पारिग्गहिया णं भंते ! किरिया कस्स कज्जति ? गोयमा! अण्णयरस्सावि संजयासंजयस्स / [1623 प्र.] भगवन् ! पारिग्रहिकी क्रिया किसके होती है ? [उ.] गौतम ! किसी संयतासंयत के होती है / 1624. मायावत्तिया णं भंते ! किरिया कस्स कज्जति ? गोयमा ! अण्णयरस्सावि अपमत्तसंजयस्स / [1624 प्र.] भगवन् ! मायाप्रत्यया क्रिया किसके होती है ? [उ.] गौतम ! किसी अप्रमत्तसंयत के होती है / 1625. अप्पच्चक्खाणकिरिया णं भंते ! कस्स कज्जति ? गोयमा ! अण्णयरस्सावि अपच्चक्खाणिस्स। [1625 प्र.] भगवन् ! अप्रत्याख्यानक्रिया किसके होती है ? [उ.] गौतम ! किसी अप्रत्याख्यानी के होती है / 1626. मिच्छादसणवत्तिया णं भंते ! किरिया कस्स कज्जति? गोयमा ! अण्णयरस्सावि मिच्छादंसणिस्स। [1626 प्र.) भगवन् ! मिथ्यादर्शनप्रत्यया क्रिया किसके होती है ? [उ.] गौतम ! किसी मिथ्यादर्शनी के होती है / विवेचन--प्रकारान्तर से पंचविध क्रियाएँ और उनके अधिकारी-प्रस्तुत 6 सूत्रों (सू. 1621 से 1626) में प्रकारान्तर से 5 प्रकार की क्रियाओं का नामोल्लेख तथा उनके अधिकारी का निरूपण किया गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org