________________ बाईसा क्रियापद] 1595. [1] जीवा णं भंते ! रइएहितो कतिकिरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि चउकिरिया वि अकिरिया वि / _[1595-1 प्र.] भगवन् ! (अनेक) जीव, (अनेक) नारकों को अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाले होते हैं ? [उ.] गौतम ! (वे) तीन क्रियाओं वाले भी होते हैं, चार क्रियाओं वाले भी और प्रक्रिय भी होते हैं। [2] असुरकुमारेहितो वि एवं चेव जाव वेमाणिएहितो। [णवरं] ओरालियसरीरेहितो जहा जोहितो (सु. 1594) / {1595-2 प्र.] इसी प्रकार (पूर्वोक्त पालापक के समान) अनेक जीवों के अनेक असुरकुमारों से (ले कर) यावत् (अनेक) वैमानिकों की अपेक्षा से (क्रियासम्बन्धी पालापक कहने चाहिए।) विशेष यह है कि (अनेक) औदारिक शरीरधारकों (पृथ्वीकायिकादि पांच स्थावर, तीन विकलेन्द्रिय तिर्यञ्चपंचेन्द्रिय एवं मनुष्यों) की अपेक्षा से (जब क्रियासम्बन्धी पालापक कहने हों, तब सू. 1594 में उक्त अनेक) जीवों की अपेक्षा से क्रियासम्बन्धी आलापक) के समान (कहने चाहिए / ) 1566. जेरइए णं भंते ! जीवातो कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए। [1596 प्र.] भगवन् ! (एक) नैरयिक, (एक) जीव की अपेक्षा से कितनी क्रिया वाला होता 1596 प्र.] भगवन ! 100 [उ.] गौतम ! (वह) कदाचित् तीन क्रियाओं वाला, कदाचित् चार क्रियाओं वाला और और कदाचित् पांच क्रियाओं वाला होता है / 1567. [1] रइए णं भंते ! गैरइयाओ कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चकिरिए। [1597-1 प्र.] भगवन् ! (एक) नैरयिक (एक) नै रयिक की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? __ [उ.] गोतम ! (वह) कदाचित् तीन क्रियाओं वाला और कदाचित् चार क्रियाओं वाला होता है। [2] एवं जाव वेमाणियाओ। णवरं ओरालियसरीरामो जहा जीवानो (सु. 1596) / [1597-2] इसी प्रकार (पूर्वोक्त पालापक के समान) (एक असुरकुमार से लेकर) यावत् एक वैमानिक की अपेक्षा से (क्रियासम्बन्धी प्रालापक कहने चाहिए।) विशेष यह है कि (एक) औदारिकशरीरधारक जीव की अपेक्षा से (जन क्रियासम्बन्धी आलापक कहने हों, तब सू. 1596 में कथित एक) जीव की अपेक्षा से (क्रियासम्बन्धी अालापक) के समान (कहने चाहिए / ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org