________________ तेरहवाँ परिणामपद] [ 123 दशविध जीवपरिणाम और उसके भेद-प्रभेद-- 626. जोवपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दसविहे पग्णत्ते / तं जहा--गतिपरिणामे 1 इंदियपरिणामे 2 कसायपरिणामे 3 लेसापरिणामे 4 जोगपरिणामे 5 उवयोगपरिणामे 6 णाणपरिणामे 7 दंसणपरिणामे 8 चरितपरिणाम है वेदपरिणामे 10 / [926 प्र.] भगवन् ! जीवपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? / [926 उ.] गौतम ! (जीवपरिणाम) दस प्रकार का कहा है / इस प्रकार है-(१) गतिपरिणाम, (2) इन्द्रियपरिणाम, (3) कषायपरिणाम, (4) लेश्यापरिणाम, (5) योगपरिणाम, (6) उपयोगपरिणाम, (7) ज्ञानपरिणाम, (8) दर्शनपरिणाम, (9) चारित्रपरिणाम और (10) वेदपरिणाम। 627. गतिपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! चउविहे पण्णते। तं जहा-णिरयगतिपरिणामे 1 तिरियगतिपरिणाम 2 मणुयगतिपरिणामे 3 देवगतिपरिणामे 4 / [927 प्र.] भगवन् ! गतिपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [627 उ.] गौतम! (गतिपरिणाम) चार प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार(१) निरयगतिपरिणाम (2) तिर्यग्गतिपरिणाम (3) मनुष्यगतिपरिणाम और (4) देवगतिपरिणाम / 628. इंदियपरिणाम णं भंते ! कतिविहे पण्णते? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते / तं जहा-सोइंदियपरिणामे 1 चक्खिदियपरिणामे 2 घाणिदियपरिणामे 3 जिभिदियपरिणामे 4 फासिदियपरिणामे 5 / [928 प्र.] भगवन् ! इन्द्रियपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [928 उ.] गौतम ! पांच प्रकार का कहा गया है-(१) श्रोत्रेन्द्रियपरिणाम, (2) चक्षुरिन्द्रियपरिणाम, (3) घ्राणेन्द्रियपरिणाम, (4) जिह्वन्द्रियपरिणाम और (5) स्पर्शेन्द्रियपरिणाम / 629. कसायपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पणते ? गोयमा! चउविहे पण्णत्ते। तं जहा–कोहकसायपरिणाम 1 माणकसायपरिणामे 2 मायाकसायपरिणामे 3 लोभकसायपरिणामे 4 // [929 प्र.] भगवन् ! कषायपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [926 उ.] गौतम ! कषायपरिणाम चार प्रकार का है। वह इस प्रकार--(१) क्रोधकषायपरिणाम, (2) मानकषायपरिणाम, (3) मायाकषायपरिणाम और (4) लोभकषायपरिणाम / 630. लेस्सापरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! छविहे पण्णत्ते / तं जहा--कण्हलेस्सापरिणामे 1 गोललेस्सापरिणामे 2 काउलेस्सापरिणामे 3 तेउलेस्सापरिणामे 4 पम्हलेस्सापरिणामे 5 सुक्कलेस्सापरिणामे 6 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org