Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 272 ] [ प्रज्ञापनासून [1182-1 प्र.] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाले से लेकर यावत् शुक्ललेश्या वाले देवों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [1182-1 उ. गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्या वाले देव हैं, उनसे पद्मलेश्या वाले देव असंख्यातगुगे हैं, (उनसे) कपोतलेश्यी देव असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) नीललेश्या वाले देव विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाले देव विशेषाधिक हैं और उनसे भी तेजोलेश्या वाले देव संख्यातगुणे हैं। [2] एतेसि णं भंते ! देवीणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4? गोयमा ! सम्वत्थोवानो देवीप्रो काउलेस्सागो, णीललेस्सानो बिसे साहियात्रो, कण्हलेस्साम्रो विसेसाहियात्रो, तेउलेस्सायो संखेज्जगुणाप्रो। [1182-2 प्र.] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाली यावत् तेजोलेश्या वाली देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [1182-2 उ.] गौतम ! सबसे थोड़ी कापोतलेश्या वाली देवियां हैं, (उनसे) नीललेश्या वाली (देवियां) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाली (देवियां) विशेषाधिक हैं और उनसे भी तेजोलेश्या वाली (देवियां) संख्यातगुणी हैं / [3] एतेसि णं भंते ! देवाणं देवीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4? गोयमा ! सम्वत्थोवा देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, काउलेस्ता असंखेज्जगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्सानो देवोश्रो संखेज्जगुणासो, गीललेस्सायो विसेसाहियानो, कण्हलेस्साप्रो विसेसाहियारो, तेउलेस्सा देवा संखेज्जगुणा, तेउलेस्सानो देवीमो संखेज्जगुणानो। [1182-3 प्र.) भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले देवों और देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [1182-3 उ.] गौतम ! सबसे थोडे शुक्ललेश्या वाले देव हैं, (उनकी अपेक्षा) पद्मलेश्या वाले (देव) असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) कापोतलेश्या वाले (देव) असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) नीललेश्या वाले (देव) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाले (देव) विशेषाधिक हैं, (उनकी अपेक्षा) कापोतलेश्या बाली देवियां संख्यातगुणी हैं, (उनसे) नीललेश्या बाली (देवियां) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाली (देवियां) विशेषाधिक हैं, (उनको अपेक्षा) तेजोलेश्या वाले देव संख्यातगुणे हैं, (उनसे भी) तेजोलेश्या वाली देवियाँ संख्यात गुणी हैं / 1183. [1] एतेसि णं भंते ! भवणवासोणं देवाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4 ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org