Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ सत्तरहवाँ लेश्यापद : छठा उद्देशक ] पालापक-इस कारण कृष्णलेश्या वाला मनुष्य अपनी लेश्या वाले गर्भ के अतिरिक्त अन्य पांचों लेश्याओं वाले गर्भ को उत्पन्न करता है। इस दृष्टि से कृष्णलेश्या से पट्लेश्यात्मक गर्भ के उत्पन्न होने से एतत्सम्बन्धी छह पालापक हुए तथा शेष नोलादि लेश्याओं के भो 6-6 पालापक होने से 36 विकल्प हो गए। इसी तरह कृष्णादि छहों लेश्या वाली स्त्रियों में से प्रत्येक लेश्या वालो स्त्रो से प्रत्येक लेश्या वाले गर्भ को उत्पत्ति सम्बन्धी 36 पालापक होते हैं / कृष्णादिलेश्या वाले पुरुष द्वारा कृष्णादिलेश्या वालो स्त्री से कृष्णादिलेश्या वाले गर्भ को उत्पत्ति सम्बन्धी भो 36 आलापक हैं / फिर अकर्मभूमिक, अन्तरदोपज कृष्णादि लेश्या वाले पुरुष द्वारा तथा अक्रमभूमिक एवं प्रतरापन कृष्णादिलेश्या वालो स्त्री से इमो प्रकार को लेश्या बाले गर्भ की उत्पत्ति सम्बन्धी क्रमशः 16-16 अालापक होते हैं।' // सत्तरहवां लेश्यापद : छठा उद्देशक समाप्त // // प्रज्ञापनासूत्र : सत्तरहवां लेश्यापद सम्पूर्ण / 1. पणवणासुतं (मूलपाठ) भा. 1, पृ. 302-303 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org