Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________ सत्तरहवा लेश्यापद : छठा उद्देशक] [321 लेश्या को लेकर गर्भोत्पत्ति सम्बन्धी प्ररूपणा 1258. [1] कण्हलेस्से गं भंते ! मण्से कण्हलेस्सं गम्भं जणेज्जा? हंता गोयमा ! जणेज्जा। [1258-1 प्र.] भगवन् ! कृष्णलेश्या वाला मनुष्य कृष्णलेश्यावान गर्भ को उत्पन्न करता है ? [1258-1 उ.] हाँ, गौतम ! वह उत्पन्न करता है। [2] कण्हस्लेसे गंभंते मणुसे गोललेस्सं गब्भं जणेज्जा ? हंता गोयमा ! जणेज्जा। [1258-2 प्र.] भगवन् ! कृष्णलेश्या वाला मनुष्य नीललेश्यावान् गर्भ को उत्पन्न करता है ? [1258-2 उ.] हाँ, गौतम ! वह उत्पन्न करता है। [3] एवं काउलेस्सं तेउलेस्सं पम्हलेस्सं सुक्कलेस्सं छप्पिमालावगा नाणियव्वा / [1258-3] इसी प्रकार (कृष्णलेश्या वाले पुरुष से) कापोतलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेल्या वाले गर्भ की उत्पत्ति के विषय में पालापक कहने चाहिए। [4] एवं गोललेसेणं काउलेसेणं तेउलेसेण वि पम्हलेसेण वि सुक्कलेसेण वि, एवं एते छत्तीसं पालावगा। {1258-4] इसी प्रकार (कृष्णवाले पुरुष की तरह) नोललेश्या वाले, कापोतलेश्या वाले, तेजोलच्या वाले, पदमलेश्या वाले और क्ललेश्या वाले प्रत्येक मनुष्य से इस प्रकार पूर्वोक्त छहों लेश्या वाले गर्भ को उत्पत्तिसम्बन्धी प्रत्येक लेश्यावाले से छह-छह आलापक होने से ये सब छत्तीस आलापक हुए। [5] कण्हलेस्सा णं भंते ! इत्थिया कण्हलेस्सं गम्भं जणेज्जा? हंता गोयमा! जणेज्जा / एवं एते वि छत्तीसं पालावगा। {1258-5 प्र.] भगवन् ! क्या कृष्णलेश्या वाली स्त्री कृष्णलेश्या वाले गर्भ को उत्पन्न करती है ? [1258-5 उ.] हाँ, गौतम ! उत्पन्न करती है / इस प्रकार (पूर्ववत्) ये भी छत्तीस आलापक कहने चाहिए। [6] कण्हलेस्से णं भंते ! मणूसे कण्हलेसाए इत्थियाए कण्हलेस्सं गम्भं जणेज्जा ? हंता गोयमा ! जणेज्जा / एवं एते छत्तीसं पालावगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org