________________ 418] प्रज्ञापनासूत्र 1482. पंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पणते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते / तं जहा–तिरिक्खपंचेंदियओरालियसरीरे य मणुस्सपंचेंदियओरालियसरीरे य। [1482 प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रिय-औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? उ.] गौतम ! (वह) दो प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार-तिर्यञ्च-पंचेन्द्रियऔदारिक शरीर और मनुष्य-पंचेन्द्रिय-ग्रौदारिक शरीर / 1483. तिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते / तं जहा-जलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियोरालियसरीरे य 1 थलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य 2 खयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियनोरालियसरीरे य 3 / 1483 प्र.] भगवन् ! तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रौदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा उ.] गौतम ! (वह) तीन प्रकार का कहा गया है। यथा-(१) जलचर-तिर्यञ्चयोनिकपंचेन्द्रिय-ग्रौदारिक शरीर, (2) स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रौदारिक शरीर और (3) खेचरतिर्यञ्च योनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिक शरीर / 1484. [1] जलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! दुविहे पण्णत्ते / तं जहा---सम्मुच्छिमजलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य गम्भवक्कंतियजलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य / [1484-1 प्र.] भगवन् ! जलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-ग्रौदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? _ [उ.गौतम ! (वह) दो प्रकार का कहा गया है। यथा-सम्मूच्छिम-जलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिक शरीर और गर्भज (गर्भव्युत्क्रान्तिक)-जलचर-तिर्यञ्चपंचेन्द्रिय-औदारिक शरीर। [2] सम्मुच्छिमजलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते / तं जहा-पज्जत्तगसम्मुच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य अपज्जत्तगसम्मुच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य / [1484-2 प्र.] भगवन् ! सम्मूच्छिम-जलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? [उ.] गौतम ! (वह) दो प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार–पर्याप्तक-सम्मूच्छिमतिर्यञ्चयोनिक-पञ्चेन्द्रिय औदारिक शरीर और अपर्याप्तक-सम्मूच्छिम-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रियऔदारिक शरीर। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org