Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 270] [प्रज्ञापनासूत्र [1180-7 उ.] गौतम ! सबसे कम शुक्ललेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक हैं, (उनसे) संख्यातगुणी शुक्ललेश्या वाली गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यञ्चस्त्रियां हैं, (उनकी अपेक्षा) पद्मलेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक संख्यातगुणे हैं, (उनकी अपेक्षा) पद्मलेश्या वाली गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यञ्चस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, (उनसे) तेजोलेश्या वाले० संख्यातगुणे हैं, (उनसे) तेजोलेश्या वाली तिर्यञ्चस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, (उनसे) कापोतलेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यञ्च संख्यातगुणे हैं, (उनसे) नीललेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च विशेषाधिक हैं, (उनसे) कापोतलेश्या वाली (गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यञ्चस्त्रियां) संख्यातगुणी हैं, (उनसे) नीललेश्या वाली (गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यञ्चस्त्रियां) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाली (गर्भज पंचेन्द्रियस्त्रियां) विशेषाधिक हैं। [8] एतेसि णं भंते ! सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं गम्भवतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खनोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4 ? गोयमा ! सम्वत्थोबा गम्भवक्कतियतिरिक्खजोणिया सुक्कलेस्सा, सुक्कलेस्सानो तिरिक्खजोणिणीमो संखेज्जगुणासो, पम्हलेस्सा गम्भवक्कतियतिरिक्खजोणिया संखेज्जगुणा, पम्हलेस्साप्रो तिरिक्खजोगिणीनो संखेज्जगुणाओ, तेउलेस्सा गम्भवक्कंतियतिरिक्खजोणिया संखेज्जगुणा, तेउलेस्साम्रो तिरिक्खजोणिणोप्रो संखेज्जगुणाम्रो, काउलेस्सा तिरिक्खजोणिया संखेज्जगुणा, णीललेस्सा० विसेसाहिया, कण्हलेस्सा० विसेसाहिया, काउलेस्सामो० संखेज्जगणामो, णीललेस्साप्रो० विसेसाहियात्रो, कण्हलेस्साप्रो० विसेताहियानो, काउलेस्सा सम्मच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा, गोललेस्सा० विसेसाहिया, कण्हलेस्सा० विसेसाहिया / [1180.8 प्र.] भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले से लेकर यावत् शुक्ललेश्या वाले इन सम्मूच्छिम पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों, गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों तथा तिर्यञ्चयोनिकस्त्रियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [1180-8 उ.] गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्या वाले गर्भज (पंचेन्द्रिय) तिर्यञ्चयोनिक हैं, (उनसे) शुक्ललेश्या वालो (गर्भज पंचेन्द्रिय) तिर्यञ्चस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, (उनसे) पद्मलेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक संख्यातगुगे हैं, (उनसे) पदमलेश्या वाली (गर्भज पंचन्द्रिय-) तिर्यञ्चस्त्रियां संख्यातगणो हैं, (उनकी अपेक्षा) तेजोलेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यञ्च संख्या (उनसे) तेजोलेश्या वाली (गर्भज पंचेन्द्रिय-) तिर्यञ्चस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, (उनसे) कापोतलेश्या वाले (गर्भज पंचेन्द्रिय-) तिर्यञ्चयोनिक संख्यातगुगे हैं, (उनसे) नीललेश्या वाले (तथारूप तिर्यञ्च) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाले (तथारूप तिर्यञ्च) विशेषाधिक हैं, (उनकी अपेक्षा) कापोतलेश्या वाली (तथारूप तिर्यञ्चस्त्रियां) संख्यातगुणो हैं, (उनसे) नीललेश्या वाली (तथारूप तिर्यञ्चस्त्रियां) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाली (तथारूप तिर्यञ्चस्त्रियां) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कापोतलेश्या वाले सम्मूच्छिम पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक असंख्यातगुगे हैं, (उनसे) नोललेश्या वाले (सम्मूच्छिम पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाले सम्मूच्छिम पंचेन्द्रियतिर्यञ्च विशेषाधिक हैं। [6] एतेसि णं भंते ! पंचेंदियतिरिक्ख जोणियाणं तिरिक्खजोणिणोण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा बा 4 ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org