________________ सत्तरवा लेश्यापद : द्वितीय उद्देशक ] [275 असंखेज्जगुणा; तेउलेस्सा भवणवासी देवा असखेज्जगुणा, काउलेस्सा असंखेज्जगुणा, णोललेस्सा बिसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया; तेउलेस्सा वाणमंतरा देवा असंखेज्जगुणा, काउलेस्सा असंखेज्जगुणा, गोललेस्सा विसेसाहिया, किण्हलेसा विसेसाहिया; तेउलेस्सा जोइसियदेवा संखेज्जगुणा / [1188 प्र.] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले भवनवासी, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों में से कौन, किनसे अल्प, बहत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [1188 उ.] गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्या वाले वैमानिक देव हैं, (उनसे) पद्मलेश्या वाले (वैमानिकदेव) असंख्यातगणे हैं, (उनसे) तेजोलेश्या वाले (बैमानिक देव) असंख्यातगुण हैं,(उनका अपेक्षा) तेजोलेश्या वाले भवनवासी देव असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) कापोतलेश्या वाले (भवनवासो देव) असंख्यात गुण हैं, (उनसे) नीललेश्या वाले (भवनवासी देव) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाले (भवनवासी देव) विशेषाधिक हैं, (उनकी अपेक्षा) तेजोलेश्या वाले वाणव्यन्तर देव असंख्यात गुणे हैं, (उनसे) कापोतलेश्या वाले (वाणव्यन्तर देव) असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) नीललेश्या वाले (वाणव्यन्तर देव) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाले (वाणव्यन्तर देव) विशेषाधिक हैं, (उनसे भी) तेजोलेश्या वाले ज्योतिष्क देव संख्यातगुणे हैं। 1186. एतासि णं भंते ! भवणवासिणोणं वाणमंतरोण जोइसिणीणं वेमाणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4 ? गोयमा ! सम्वत्योवानो देवीमो वेमाणिणीनो तेउलेस्साप्रो; भवणवासिणीनो तेउलेस्साओ असंखेज्जगुणाप्रो, काउलेस्सामो असंखेज्जगुणाओ, णोललेस्सागो विसेसाहियानो, कण्हलेस्सायो विसेसाहियानो; तेउलेस्सायो वाणमंतरीमो देवीओ असंखेज्जगुणाग्रो, काउलेस्साम्रो असंखेज्जगुणाग्रो, णोललेस्साप्रो विसेसाहियात्रो, कण्हलेस्सानो विसेसाहियानो; ते उलेस्साप्रो जोइसिणीनो देवीप्रो संखेज्जगुणाभो। . [1189 प्र.] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाली से लेकर यावत् तेजोलेश्या वाली भवनवासी, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क एवं वैमानिक देवियों में से कौन (देवियां), किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [1189 उ.] गौतम ! सबसे थोड़ी तेजोलेश्या वाली वैमानिक देवियां हैं, (उनसे) तेजोलेश्या वालो भवनवासी देवियाँ असंख्यातगुणो हैं, (उनसे) कापोतलेश्या वाली (भवनवासी देवियाँ) असंख्यातगुणो हैं, (उनसे) नीललेश्या वाली (भवनवासी देवियाँ) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाली (भवनवासी देवियाँ) विशेषाधिक हैं, (उनसे) तेजोलेश्या वाली वाणव्यन्तर देवियाँ असंख्यातगुणी अधिक हैं, (उनसे) कापोतलेश्या वाली (वाणव्यन्तर देवियाँ) असंख्यातगुणी हैं, (उनसे) नीललेश्या वाली (वाणव्यन्तर देवियाँ) विशेषाधिक हैं, (उनसे) कृष्णलेश्या वाली (वाणव्यन्तर देवियाँ) विशेषाधिक हैं / (उनकी अपेक्षा) तेजोलेश्या वाली ज्योतिष्क देवियाँ संख्यातगुणी हैं / 1190. एतेसि णं भंते ! भवणवासीणं जाव वेमाणियाणं देवाण य देवीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4 ? गोयमा ! सव्वस्थोवा वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्साम्रो वेमाणिणीयो देवीमो संखेज्जगुणामो; तेउलेस्सा भवणवासी देवा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org