Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 274]] [प्रज्ञापनासूत्र [1184] जिस प्रकार (सू. 1183-1 से 3 तक में) भवनवासी देव-देवियों का अल्पबहुत्व कहा है, इसी प्रकार वाणव्यन्तरों के तीनों ही (देवों, देवियों और देव-देवियों का सम्मिलित) प्रकारों का अल्पबहुत्व कहना चाहिए। 1185. एतेसि णं भंते / जोइसियाणं देवाणं देवीण य तेउलेस्साणं कतरे कतरेहितो प्रप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया बा ? ___ गोयमा ! सम्वत्थोवा जोइसियदेवा तेउलेस्सा, जोइसिणिदेवीलो तेउलेस्सायो संखेज्जगुणायो। [1185 प्र.] भगवन् ! इन तेजोलेश्या वाले ज्योतिष्क देवों-देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? [1185 उ.] गौतम ! सबसे थोड़े तेजोलेश्या वाले ज्योतिष्क देव हैं, उनकी अपेक्षा तेजोलेश्या वाली ज्योतिष्क देवियां संख्यातगुणी हैं / 1186. एतेसि णं भंते ! वेमाणियाणं देवाणं तेउलेस्साणं पम्हलेस्साणं सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो प्रप्पा वा 4 // गोयमा ! सध्वत्थोवा वेमाणिया सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्सा असंखेज्जगुणा। [1186 प्र.] भगवन् ! इन तेजोलेश्या वाले, पद्मलेश्या वाले और शुक्ललेश्या वाले वैमानिक देवों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [1186 उ.] गौतम ! सबसे कम शुक्ललेश्या वाले वैमानिक देव हैं, (उनसे) पद्मलेश्या वाले असंख्यात गुणे हैं (और उनसे भी) तेजोलेश्या वाले (देव) असंख्यातगुणे हैं / 1187. एतेसि णं भंते ! वेमाणियाणं देवाणं देवीण य तेउलेस्साणं पम्हलेस्साणं सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4 ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्सा प्रसंखेज्जगुणा, तेउलेस्साम्रो वेमाणिणोप्रो देवीग्रो संखेज्जगुणाम्रो / [1187 प्र.] भगवन् ! इन तेजोलेश्या वाले, पद्मलेश्या वाले और शुक्ललेश्या वाले वैमानिक देवों और देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? - [1187 उ.] गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्या वाले वैमानिक देव हैं, (उनसे) पद्मलेश्या वाले (वैमानिक देव) असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) तेजोलेश्या वाले (वैमानिक देव) असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) तेजोलेश्या वाली वैमानिक देवियां संख्यातगुणी हैं। 1188. एतेसि णं भंते ! भवणवासीणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाण य देवाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4 ? गोयमा! सम्वत्थोवा वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेजगुणा, तेउलेस्सा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org