________________ 300] [प्रज्ञापनासूत्र हो, अथवा वनराजि हो, या दन्तराग (उच्चन्तक) हो, या कबूतर की ग्रीवा हो, अथवा मोर की ग्रीवा हो, या हलधर (बलदेव) का (नील) वस्त्र हो, या अलसी का फूल हो, अथवा वण (बाण) वृक्ष का फूल हो, या अंजनकेसि का कुसुम हो, नीलकमल हो, अथवा नील अशोक हो, नीला कनेर हो, अथवा नीला बन्धुजीवक वृक्ष हो, (इनके समान नीललेश्या नीले वर्ण की है / ) _ [प्र.] भगवन् ! क्या नीललेश्या (वस्तुत:) इस रूप की होती है ? [उ.] गौतम ! यह अर्थ समर्थ (योग्य) नहीं है। नीललेश्या इससे भी अनिष्टतर, अधिक अकान्त, अधिक अप्रिय, अधिक अमनोज्ञ और अधिक अमनाम वर्ण से कही गई है। 1228. काउलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामए खयरसारे इ वा कयरसारे इ वा धमाससारे इ वा तंबे इ वा तंबकरोडए इ वा तंबच्छिवाडिया इ वा वाइंगणिकुसुमए इ वा कोइलच्छदकुसुमए इ बा जवासाकुसुमे इ वा कलकुसुमे इ वा / भवेतारूवा? गोयमा ! णो इणठे समठे, काउलेस्सा गं एत्तो प्रणितरिया जाव अमणामरिया चेव वण्णणं पण्णत्ता। [1228 प्र.] भगवन् ! कापोतलेश्या वर्ण से कैसी है ? [1228 उ.] गौतम ! जैसे कोई खदिर (खैर-कत्था) के वृक्ष का सार भाग (मध्यवर्ती भाग) हो, अथवा धमास वृक्ष का सार हो, ताम्बा हो, या ताम्बे का कटोरा हो, या ताम्बे की फली हो, या बैंगन का फल हो, कोकिलच्छद (तैलकण्ट्रक) वृक्ष का फूल हो, अथवा जवासा का फूल हो, अथवा कलकुसुम हो, (इनके समान वर्ण वाली कापोतलेश्या है।) - [प्र.) भगवन् ! क्या कापोतलेश्या ठीक इसी रूप की है ? [उ.] यह अर्थ समर्थ नहीं है। कापोतलेश्या वर्ण से इससे भी अनिष्टतर यावत् अमनाम (अत्यन्त अवांछनीय) कही है। 1226. तेउलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णता ? गोयमा ! से जहाणामए ससरुहिरे इ वा उरभरुहिरे इ वा वराहरुहिरे इ वा संबररुहिरे इ वा मणस्सरुहिरे इ वा बालिदगोवे इ वा बालदिवागरे इ वा संझन्भरागे इ वा गुजद्धरागे इ वा जाइहिगुलए इ वा पवालंकुरे इ वा लक्खारसे इ वा लोहियक्खमणी इ वा किमिरागकंबले इ वा गयतालुए इ वा चीणपिटुरासी इ वा पालियायकुसुमे इ वा जासुमणाकुसुमे इ वा किसुयपुप्फरासी इ वा रत्तुप्पले इवा रत्तासोगे इ वा रत्तकणवीरए इ वा रत्तबंधुजीवए इ वा ? भवेयारूवा? गोयमा ! णो इणठे समठे, तेउलेस्सा गं एत्तो इट्टतरिया चेव जाव मणामतरिया चेव वन्नेणं पण्णत्ता। ID इस चिन्ह के सूचित पाठ मलयगिरि वृत्ति में नहीं है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org