Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 222] [प्रज्ञापनासूत्र [1083 उ.] गौतम ! मनुष्य सत्यमनःप्रयोगी यावत् (अर्थात्-चारों प्रकार के मनःप्रयोगी, चारों प्रकार के वचनप्रयोगी) औदारिक शरीरकायप्रयोगी भी होते हैं, वैक्रिय शरीरकायप्रयोगी भी होते हैं, और वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोगी भी होते हैं / 1. अथवा कोई एक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होता है, 2. अथवा अनेक (मनुष्य) औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं, 3. अथवा कोई एक आहारकशरीरकायप्रयोगी होता है, 4. अथवा अनेक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं, अथवा 5. कोई एक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होता है, 6. अथवा अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होते हैं, 7. अथवा कोई एक कार्मणशरीर कायप्रयोगी होता है, 8. अथवा अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं / (इस प्रकार) एक-एक के (संयोग से) ये आठ भंग होते हैं। 1. प्रथवा कोई एक (मनुष्य) औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और एक आहारक शरीरकायप्रयोगी होता है, 2. अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और अनेक प्राहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होते हैं, अथवा 3. अनेक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और एक आहारक शरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा 4. अनेक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और अनेक आहारकशरीर कायप्रयोगी होते हैं / इस प्रकार ये चार भंग हैं। 1. अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और एक अाहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी, अथवा 2. औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी हैं, 3. अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होता है, 4. अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और अनेक आहारक मिश्रशरीरकायप्रयोगी होते हैं / ये (द्विकसंयोगी) चार भंग हैं। अथवा 1. कोई एक (मनुष्य) औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और (एक) कार्मणशरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा 2. एक प्रौदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं, अथवा 3. अनेक प्रौदारिक मिश्रशरीरकायप्रयोगी और एक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा 4. अनेक :ौदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं / ये चार भंग हैं / अथवा 1. एक आहारकशरीरकायप्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा 2. एक आहारकशरीरकायप्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होते हैं, अथवा 3. अनेक आहारकशरीरकायप्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होता अथवा 4. अनेक आहारकशरीरकायप्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होते हैं। (इस प्रकार) ये चार भंग हैं। अथवा 1. एक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी और एक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा 2. एक आहारकशरीरकायप्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं. अथवा 3. अनेक आहारकशरीरकायप्रयोगी और एक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा 4. अनेक आहारक शरीरकायप्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं / (इस प्रकार ये) चार भंग हैं / अथवा १–आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और एक कार्मण शरीरकायप्रयोगी होता है; प्रथवा २–एक आहारकमिश्रशीरकाय-प्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं, ३–अथवा अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और एक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होता है; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org