________________ सोलहवां प्रयोगपव] [229 1094. से किं तं गेरइयखेत्तोववातगती? रइयखेतोववायगती सत्तविहा पग्णत्ता। तं जहा–रयणप्पभापुढविणेरइयखेत्तोववातगती जाव अहेसत्तमापुढविणेरइयखेत्तोववायगती / से तं गेरइयखेत्तोववायगती। [1064 प्र.] नैरयिकक्षेत्रोपपातगति कितने प्रकार की है ? [1094 उ.] (वह) सात प्रकार की कही गई है--रत्नप्रभापृथ्वीनैरयिकक्षेत्रोपपातगति (से लेकर) यावत् अधस्तनसप्तमपृथ्वीनरयिकक्षेत्रोपपातगति / यह हुई नैरयिक क्षेत्रोपपातगति (की प्ररूपणा।) 1065. से कि तं तिरिक्खजोणियखेत्तोक्वायगतो? तिरिक्खजोणियखेत्तोक्वायगती पंचविहा पण्णत्ता। तं जहा-एगिदियतिरिक्खजोगियखेत्तोबवायगती जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती से तं तिरिक्खजोणियखेतोववायगती। [1095 प्र.] तियंञ्चयोनिकक्षेत्रोपपातगति कितने प्रकार की है ? [1095 उ.] (वह) पांच प्रकार की कही गई है / वह इस प्रकार-१. एकेन्द्रियतिर्यग्योनिकक्षेत्रोपपातगति, 2. द्वीन्द्रियतिर्यग्योनिकक्षेत्रोपपातगति, 3. त्रीन्द्रियतियंग्योनिकक्षेत्रोपपातगति, 4. चतुरिन्द्रियतिर्यग्योनिकक्षेत्रोपपातगति और 5. पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकक्षेत्रोपपातगति / यह हुआ तिर्यग्योनिकक्षेत्रोपपातगति का निरूपण / 1066. से कि तं मणूसखेत्तोववायगई ? मणूसखेत्तोषवायगई दुविहा पण्णत्ता। तं जहा–सम्मुच्छिममणूसखेत्तोक्वायगती गम्भवक्कंतियमणुस्सखेत्तोववायगई / से तं मणूसखेतोवधायगती। [1096 प्र.] वह मनुष्यक्षेत्रोपपातगति कितने प्रकार की है ? [1066 उ., (वह) दो प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार-१. सम्मूच्छिम मनुष्यक्षेत्रोपपातगति और 2. गर्भज मनुष्यक्षेत्रोपपातगति / यह हुआ मनुष्यक्षेत्रोपपातगति का प्रतिपादन / 1097. से किं तं सेवखेतोववायगती ? देवखेत्तोववायगती चउन्विहा पण्णता। तं जहा–भवणवइ जाव वेमाणियदेवखेतोववायगती / से तं देवखेत्तोववायगती। [1097 प्र.) वह देवक्षेत्रोपपातगति कितने प्रकार की है ? [1097 उ.] (वह) चार प्रकार की कही गई है / वह इस प्रकार--१. भवनपतिदेवक्षेत्रोपपातगति, 2. वाणव्यन्तरदेवक्षेत्रोपपातगति, 3. ज्योतिष्कदेवक्षेत्रोपपातगति और 4. वैमानिकदेव क्षेत्रोपपातगति / यह हुअा देवक्षेत्रोपपातगति का निरूपण / 1098. से कि तं सिद्धखेतोववायगती ? सिद्धखेत्तोववायगती अणेगविहा पण्णता। तं जहा--जंबुद्दीवे दोवे भरहेरवयवाससपक्खि सपडिविसि सिद्धखेत्तोववायगती, जंबद्दोवे दोवे चुल्लहिमवंत-सिहरिवासहरपव्वयसपक्खि सपडिविसि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org