________________ सोलहवां प्रयोगपद] [231 1066. से कि तं भवोववातगती ? भवोववातगती चउम्बिहा पण्णता / तं जहा-रइय० जाव देवभवोववातगती। से कि तं रइयभवोववातगती ? णेरडयभवोक्यातगती सत्तविहा पण्णता / तं जहा० / एवं सिद्धवज्जो मेरो भाणियो , जो चेव खेतोववातगतीए सो चेव भवोववातगतीए / से तं भवोववातगती 2 / [1099 प्र.] भवोपपातमति कितने प्रकार की है ? [1066 उ.] भवोपपातगति चार प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार-नैरयिकभवोपपातगति (से लेकर) देवभवोपपाततिपर्यन्त / [प्र.] नैरयिकभवोपपातगति किस प्रकार की है ? [उ.] नैरयिक भवोपपातगति सात प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार-इत्यादि सिद्धों को छोड़ कर सब भेद (तिर्यग्योनिकभवोपपातगति के भेद, मनुष्यभवोपपातगति के भेद और देवभवोपपातगति के भेद) कहने चाहिए। जो प्ररूपणा क्षेत्रोपपातगति के विषय में की गई थी, वही भवोपपातगति के विषय में कहनी चाहिए। यह हुआ भवोपपातगति का निरूपण / 1100. से कि तं णोभवोक्वातगती ? णोभवोववातगती दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-पोग्गलणोभवोववातगती य सिद्धणोभवोववातगती य। [1100 प्र.] वह नोभवोपपातगति किस प्रकार की है ? [1100 उ.] नोभवोपपातगति दो प्रकार की कही है। वह इस प्रकार—पुद्गल-नोभवोपपातगति और सिद्ध-नोभवोपपातगति / 1101. से कि तं पोग्गलणोभवोववातगतो ? पोग्गलगोभवोयवातगतो जण्णं परमाणुपोग्गले लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंतानो पच्छिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, पच्छिमिल्लाप्रो वा चरिमंतानो पुरथिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, दाहिणिल्लामो वा चरिमंतानो उत्तरिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, एवं उत्तरिल्लातो दाहिणिल्लं, उवरिल्लामो हेडिल्लं, हेट्ठिल्लाप्रो वा उरिल्लं / से तं पोग्गलणोभवोववातगती। [1101 प्र.] वह पुद्गल-नोभवोपपातगति क्या है ? [1101 उ. जो पुद्गल परमाणु लोक के पूर्वी चरमान्त अर्थात् छोर से पश्चिमी चरमान्त तक एक ही समय में चला जाता है, अथवा पश्चिमी चरमान्त से पूर्वी चरमान्त तक एक समय में गमन करता है, अथवा दक्षिणी चरमान्त से उत्तरी चरमान्त तक एक समय में गति करता है, या उत्तरी चरमान्त से दक्षिणी चरमान्त तक तथा ऊपरी चरमान्त (छोर) से नीचले चरमान्त तक एवं नीचले चरमान्त से ऊपरी चरभान्त तक एक समय में ही गति करता है; यह पुद्गल-नोभवोपपातगति कहलाती है / यह हुआ पुद्गल-नोभवोपपातगति का निरूपण / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org