________________ सत्रहवां लेश्यापद : द्वितीय उद्देशक ] [263 [1163-4 प्र.] भगवन् ! गर्भज तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों में कितनी लेश्याएँ होती हैं ? [1163-4 उ.] गौतम ! ये ही (कृष्ण आदि) छह लेश्याएँ होती हैं / 1164. [1] मणुस्साणं पुच्छा ? गोयमा ! छल्लेसाप्रो एतानो चेव / [1164-1 प्र.] भगवन् ! मनुष्यों में कितनी लेश्याएँ होती हैं ? [1164-1 उ.] गौतम ! ये ही छह लेश्याएं होती हैं। [2] सम्मुच्छिममणुस्साणं पुच्छा ? गोयमा ! जहा णेरइयाणं (सु. 1157) / [1164-2 प्र.] भगवन् ! सम्मूच्छिम मनुष्यों में कितनी लेश्याएँ होती हैं ? [1164-2 उ.] गौतम ! जैसे नारकों में प्रारम्भ को तीन लेश्याएँ कही हैं, वैसे ही सम्मूच्छिम मनुष्यों में भी होती हैं। [3] गम्भवक्कंतियमणूसाणं पुच्छा ? गोयमा ! छल्लेसानो, तं जहा--कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेसा / [1164-3 प्र.] भगवन् ! गर्भज मनुष्यों में कितनी लेश्याएँ होती हैं ? [1164-3 उ.] गौतम ! (उनमें) छह लेश्याएँ होती हैं---कृष्णलेश्या से लेकर शुक्ललेश्या तक। [4] मणुस्सीणं पुच्छा? गोयमा ! एवं चेव / [1164-4 प्र.] भगवन् ! गर्भज मानुषी (स्त्री) में कितनी लेश्याएँ कही हैं ? [1164-4 उ.) गौतम ! (जैसे गर्भज मनुष्यों में छह लेश्याएँ होती हैं) इसी प्रकार (गर्भज स्त्रियों में भी छह लेश्याएँ समझनी चाहिए / ) 1165. [1] देवाणं पुच्छा? गोयमा ! छ एताओ चेव / [1165-1 प्र.) भगवन् ! देवों में कितनी लेश्याएँ होती हैं ? [1165-1 उ.] गौतम ! ये ही छह लेश्याएँ होती हैं। [2] देवीणं पुच्छा ? गोयमा ! चत्तारि / तं जहा-कण्हलेस्सा जाब तेउलेस्सा। [1165-2 प्र.] भगवन् ! देवियों में कितनी लेश्याएँ होती हैं ? [1165-2 उ.] गौतम ! (उनमें) चार लेश्याएँ होती हैं। वे इस प्रकार-कृष्णलश्या से लेकर तेजोलेश्या तक। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org