________________ 230] [प्रज्ञापनासूत्र सिद्धखेतोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे हेमवय-हेरनवयवाससपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववातगती, जंबुद्दीवे दोवे सद्दावति-वियडावतिवट्टवेयसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दोघे महाहिमवंत-रुप्पिवासहरपव्वयसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववातगती, जंबुद्दीवे दीवे हरिवास-रम्मगवाससक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोक्वातगती, जंबुद्दीवे दीवे गंधावती-मालवंतपरियायवट्टवेयड्डसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेतोववातगती, जंबुद्दीवे दोवे णिसढ-णोलवंतवासहरपब्वयसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववातगती, जंबुद्दोवे दो पुव्वविदेह-प्रवरविदेहसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववातगती, जंबुद्दीवे दोबे देवकुरुत्तरकुरुसक्ति सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स सक्खि सपडिदिसि सिद्धखेतोक्वायगती, लवणसमुद्दे सक्खि सपडिदिसि सिद्धखेतोववायगती, धायइसंडे दीवे पुरिमद्धपच्छिमद्धमंदरपव्वयस्स सक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववातमती, कालोयसमुद्दे सपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोक्वातगती, पुक्खरवरदीवड्युरिमडमरहेरवयवाससक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववातगती, एवं जाव पुक्खरवरदीवडपच्छिमड्डमंदरपव्ययसपक्षि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववातगती। से तं सिद्धखेत्तोबवातगती। से तं खेतोववातगती 1 / [1068 प्र.] वह सिद्धक्षेत्रोपपातगति कितने प्रकार की है ? [1098 उ.] सिद्धक्षेत्रोपपातगति अनेक प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार-जम्बूद्वीप नामक द्वीप में, भरत और ऐरवत वर्ष (क्षेत्र) में सब दिशाओं में, सब विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति होती है, जम्बूद्वीप नामक द्वीप में क्षुद्र हिमवान् और शिखरी वर्षधरपर्वत में सब दिशाओं में और विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति होती है, जम्बूद्वीप नामक द्वीप में हैमवत और हैरण्यवत वर्ष में सब दिशाओं और विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति होती है, जम्बूद्वीप नामक द्वीप में शब्दापाती और विकटापाती वृत्तवैताढ्यपर्वत में समस्त दिशाओं-विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति होती है, जम्बूद्वीप नामक द्वीप में महाहिमवन्त और रुक्मी नामक वर्षधर पर्वतों में सब दिशामों-विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति होती है, जम्बूद्वीप नामक द्वीप में हरिवर्ष और रम्यकवर्ष में सब दिशाओंविदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति होती है, जम्बूद्वीप नामक द्वीप में गन्धावती (गन्धापाती) माल्यवन्तपर्याय वृतवैताढ्यपर्वत में समस्त दिशाओं-विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति होती है, जम्बूद्वीप नामक द्वीप में निषध और नीलवन्त नामक वर्षधर पर्वत में सब दिशाओं और विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति होती है, जम्बूद्वीप नामक द्वीप में पूर्वविदेह और अपरविदेह में सब दिशाओं और विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति होती है, जम्बूद्वीप नामक द्वीप में देवकुरु और उत्तरकुरु (क्षेत्र) में सब दिशानों-विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति है तथा जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत की सब दिशाओं और विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति है / लवणसमुद्र में सब दिशाओं और विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति है, धातकीषण्ड द्वीप में पूर्वार्द्ध और पश्चिमाद्धं मन्दर-पर्वत की सब दिशानोंविदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति है, कालोदसमुद्र में समस्त दिशाओं-विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति है, पुष्करवरद्वीपार्द्ध के पूर्वाद्ध के भरत और ऐरवत वर्ष में सब दिशाओं और विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति है, पुष्करवरद्वीपार्द्ध के पश्चिमार्द्ध मन्दरपर्वत में सब दिशाओं-विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति है। यह हुआ सिद्धक्षेत्रोपपातगति का वर्णन / इस प्रकार क्षेत्रोपपातगति का निरूपण पूर्ण हुआ // 1 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org