________________ 232] [ प्रज्ञापनासून 1102. से कि तं सिद्धणोभवोववातगती? सिद्धणोभवोववातगती दुविहा पण्णता / तं महा-अणंतरसिद्धणोमवोववातगती य परंपरसिद्धणोभवोक्वातगती य / [1102 प्र.वह सिद्ध-नोभवोपपातगति कितने प्रकार की है ? [1102 उ.] सिद्ध-नोभवोपपातगति दो प्रकार की कही है। वह इस प्रकार-अनन्तरसिद्ध-नोभवोपपातगति और परम्परसिद्ध-नोभवोपपातगति / 1103. से कि तं प्रणंतरसिद्धणोभवोषवातगतो ? अणंतरसिद्धणोभवोववातगती पन्नरसविहा पण्णत्ता। तं जहा--तित्थसिद्धप्रणतरसिद्धणोभवोववातगतो य जाव प्रणेगसिद्धणोभवोववातगतो य / [से तं अणंतरसिद्धणोभवोक्वातगती।] [1103 प्र.] वह अनन्तरसिद्ध-नोभवोपपातगति कितने प्रकार की है ? [1103 उ.] अनन्तरसिद्ध-नोभवोपपातगति पन्द्रह प्रकार की है / वह इस प्रकारतीर्थसिद्ध-अनन्तरसिद्ध-नोभवोपपातगति (से लेकर) यावत् अनेकसिद्ध-अनन्तरसिद्ध-नोभवोपपातगति। यह हुआ उस अनन्तरसिद्ध-नोभवोपपातगति का निरूपण / 1104. से कि तं परंपरसिद्धणोभवोववातगती ? परंपरसिद्धणोभवोववातगती प्रणेगविहा पण्णता। तं जहा----अपढमसमयसिद्धणोमबोववातगती एवं दुसमयसिद्धणोभवोववातगती जाव अणंतसमयसिद्धणोमवोववातगतो। से तं परंपरसिद्धणोभवोववातगती / से तं सिद्धणोभवोववातगतो / से तं गोभवोबवायगती 3 / से तं उववातगती / [1114 प्र.] परम्परसिद्ध-नोभवोपपातगति कितने प्रकार की है ? 61104 उ.] परम्परसिद्ध-नोभवोपपातगति अनेक प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार-अप्रथमसमयसिद्ध-नोभवोपपातगति, एवं द्विसमयसिद्ध-नोभवोपपातगति यावत् (त्रिसमय से लेकर संख्यातसमय, असंख्यातसमयसिद्ध) अनन्तसमयसिद्ध-नोभवोपपातगति / यह हुआ परम्परसिद्ध-नोभवोपपातगति (का निरूपण / ) (इसके साथ ही) उक्त सिद्ध-नोभवोपपातगति (का वर्णन हुआ / तदनुसार) पूर्वोक्त नो भवोपपातगति (को प्ररूपणा समाप्त हुई / ) (इसकी समाप्ति के साथ ही) उपपातगति (का वर्णन पूर्ण हुआ / ) / 1105. से किं तं विहायगतो? विहायगती सत्तरसविहा पण्णत्ता। तं जहा-फुसमाणगती 1 अफुसमाणगती 2 उवसंपज्जमाणगती 3 अणुवसंपज्जमाणगती 4 पोग्गलगती 5 मंड्यगती 6 णावागती 7 णयगती 8 छायागती छायाणुवायगती 10 लेसागती 11 लेस्साणुवायगती 12 उद्दिस्सपविभत्तगती 13 चउपुरिसपविभत्तगती 14 वंकगती 15 पंकगती 16 बंधणविमोयणगती 17 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org