________________ तेरहवां परिणामपद] [133 650. संठाणपरिणामे गं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते / तं जहा.-परिमंडलसंठाणपरिणाम जाव प्राययसंठाणपरिणाम / [950 प्र.) भगवन् ! संस्थानपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [650 उ.] गौतम ! (संस्थानपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार(१) परिमण्डलसंस्थानपरिणाम, (2) वृत्तसंस्थानपरिणाम, (3) व्यस्रसंस्थानपरिणाम, (4) चतुरस्रसंस्थानपरिणाम और (5) आयतसंस्थानपरिणाम / 651. मेयपरिणामे णं भंते ! कति विहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते / तं जहा-खंडाभेदपरिणामे जाव उक्करियाभेदपरिणामे / [951 प्र.] भगवन् ! भेदपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [951 उ.] गौतम ! (भेदपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है / वह इस प्रकार-(१) खण्डभेदपरिणाम, (2) प्रतरभेदपरिणाम, (3) चूणिका (चूर्ण) भेदपरिणाम, (4) अनुतटिकाभेदपरिणाम और (5) उत्कटिका (उत्करिका) भेदप्रमाण / 652. वण्णपरिणामे गं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते / तं जहा-कालवण्णपरिणामे जाव सुविकलवण्णपरिणामे / [952 प्र.] भगवन् ! वर्णपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [952 उ.] गौतम ! (वर्णपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है (1) कृष्णवर्णपरिणाम, (2) नीलवर्णपरिणाम, (3) रक्तवर्णपरिणाम, (4) पीतवर्णपरिणाम और (5) शुक्ल (श्वेत) वर्णपरिणाम / 653. गंधपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णते? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते / तं जहा–सुम्मिगंधपरिणाम य दुन्भिगंधपरिणाम य / [653 प्र.] भगवन् ! गन्धपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [953 उ.] गौतम ! (गन्धपरिणाम) दो प्रकार का कहा गया है / वह इस प्रकार-सुगन्धपरिणाम और दुर्गन्धपरिणाम / 654. रसपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते / तं जहा-तित्तरसपरिणाम जाव महुररसपरिणामे / [954 प्र.] भगवन् ! रसपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [954 उ.] गौतम ! (रसपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है / वह इस प्रकार—(१) तिक्तरसपरिणाम, (2) कटुरसपरिणाम, (3) कषायरसपरिणाम, (4) अम्ल (खट्टा) रसपरिणाम और (5) मधुररसपरिणाम / 655. फासपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! अट्टविहे पण्णत्ते / तं जहा-कक्खडफासपरिणामे य जाव लुक्खफासपरिणामे य। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org