________________ 132] [प्रज्ञापनासून अजीवपरिणाम और उसके भेद-प्रभेदों को प्ररूपणा 147. अजीवपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दसविहे पण्णत्ते / तं जहा-बंधणपरिणामे 1 गतिपरिणामे 2 संठाणपरिणामे 3 भेदपरिणामे 4 वण्णपरिणामे 5 गंधपरिणामे 6 रसपरिणामे 7 फासपरिणामे 8 अगत्यलहुयपरिणामे 6 सहपरिणामे 10 / [947 प्र.] भगवन् ! अजीवपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [647 उ.] गौतम ! (अजीवपरिणाम) दस प्रकार का कहा गया है / वह इस प्रकार--(१) बन्धनपरिणाम, (2) गतिपरिणाम (3) संस्थानपरिणाम, (4) भेदपरिणाम, (5) वर्णपरिणाम, (6) गन्धपरिणाम, (7) रसपरिणाम, (8) स्पर्शपरिणाम, (9) अगुरुलघुपरिणाम और (10) शब्दपरिणाम / 648. बंधणपरिणाम णं भंते ! कतिबिहे पण्णते? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते / तं जहा--निबंधणपरिणाम य लुक्खबंधणपरिणामे य / समणिद्धयाए बंधोण होति, समलुक्खयाए वि ण होति / वेमाणिद्ध-लुक्खत्तणेण बंधो उ खंधाणं / / 166 // णिद्धस्स णि ण दुयाहिएणं लुक्खस्स लुक्खेण दुयाहिएणं / णिद्धस्स लुक्खेण उवेइ बंधो जहण्णवज्जो विसमो समो वा // 20 // [948 प्र.] भगवन् ! बन्धनपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [648 उ. गौतम ! (बन्धनपरिणाम) दो प्रकार का है / वह इस प्रकार है-(१) स्निग्धबन्धनपरिणाम और (2) रूक्षबन्धनपरिणाम / [गाथार्थ----] सम (समान-गुण) स्निग्धता होने से बन्ध नहीं होता और न ही सम (समानगुण) रूक्षता होने से भी बन्ध होता है। विमात्रा (विषममात्रा) वाले स्निग्धत्व और रूक्षत्व के होने पर स्कन्धों का बन्ध होता है / / 166 / / दो गुण अधिक स्निग्ध के साथ स्निग्ध का तथा दो गुण अधिक रूक्ष के साथ रूक्ष का एवं स्निग्ध का रूक्ष के साथ बन्ध होता है; किन्तु जघन्यगुण को छोड़ कर, चाहे वह सम हो अथवा विषम हो / / 200 / / 946. गतिपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते? . गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते। तं जहा-फुसमाणगतिपरिणामे य अफुसमाणगतिपरिणामे य, प्रहवा दोहगइपरिणामे य हस्सगइपरिणामे य / [946 प्र.] भगवन् ! गतिपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [949 उ.] गौतम ! (गतिपरिणाम) दो प्रकार का कहा है / वह इस प्रकार--(१) स्पृशद्गतिपरिणाम और (2) अस्पृशद्गतिपरिणाम; अथवा (1) दीर्घगतिपरिणाम और (2) ह्रस्वगतिपरिणाम। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org