________________ सोलहवां प्रयोगपद ] [213 1072. पुढविक्काइयाणं पुच्छा। गोयमा ! तिविहे पोगे पणत्ते / तं जहा-ओरालियसरीरकायप्पनोगे 1 पोरालियमीससरीरकायप्पनोगे 2 कम्मासरीरकायप्पभोगे 3 / एवं जाव वणफइकाइयाणं / णवरं बाउक्काइयाणं पंचविहे पनोगे पण्णत्ते, तं जहा-पोरालियसरीरकायपोगे 1 ओरालियमोससरीरकायप्पश्रोगे 2 वेउविए दुविहे 4 कम्मासरीरकायप्पनोगे य 5 / [1072 प्र.] भगवन् ! पृथ्वोकायिकों के कितने प्रयोग कहे गए हैं ? [1072 उ.] गौतम ! उनके तीन प्रकार के प्रयोग कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं- 1. प्रौदारिकशरीरकायप्रयोग, 2. औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोग और 3. कार्मणशरीरकायप्रयोग। इसी प्रकार (अप्कायिकों से लेकर) यावत् वनस्पतिकायिकों (तक समझना चाहिए / ) विशेष यह है कि वायूकायिकों के पांच प्रकार के प्रयोग कहे हैं। वे इस प्रकार---१. प्रौदारिकशरीरकायप्रयोग, 2. औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोग, 3-4. वैत्रियशरीरकायप्रयोग और वैक्रिय मिश्रशरीर कायप्रयोग तथा 5. कार्मणशरीरकायप्रयोग / 1073. बेइंदियाणे पुच्छा। गोयमा ! चउदिवहे पड़ोगे पण्णते। तं जहा---प्रसच्चामोसवइप्पानोगे 1 पोरालियसरीरकायप्पप्रोगे 2 पोरालियमीससरीरकायप्पनोगे 3 कम्मासरीरकायप्पओगे 4 / एवं जाव चरिदियाणं / [1073 प्र.] भगवन् ! द्वीन्द्रियजीवों के कितने प्रकार के प्रयोग कहे गए हैं ? [1073 उ.] गौतम ! (उनके) चार प्रकार के प्रयोग कहे गए हैं। वे इस प्रकार(१) असत्यामृषावचनप्रयोग, (2) प्रौदारिकशरीरकायप्रयोग, (3) औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोग और (4) कार्मणशरीरकायप्रयोग / इसी प्रकार (त्रीन्द्रिय और) यावत् चतुरिन्द्रिय जीवों के प्रयोग के विषय में समझना चाहिए / 1074. पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! तेरसविहे पनोगे पण्णते। तं जहा-सच्चमणप्पप्रोगे 1 मोसमणप्पनोगे 2 सच्चामोसमणप्पग्रोगे 3 असच्चामोसमणप्पनोगे 4 एवं वइपोगे वि 8 पोरालियसरीरकायप्पनोगे मोरालियमोससरीरकायप्पनोगे 10 वेउब्वियसरीरकायप्पनोगे 11 देउव्वियमोससरीरकायप्पप्रोगे 12 कम्मासरीरकायप्पभोगे 13 / [1074 प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों के कितने प्रकार के प्रयोग कहे गए हैं ? 61074 उ.) गौतम ! (उनके) तेरह प्रकार के प्रयोग कहे गए हैं। वे इस प्रकार(१) सत्यमनःप्रयोग, (2) मृषामनःप्रयोग, (3) सत्यमृषामनःप्रयोग, (4) असत्यामृषामनःप्रयोग, इसी तरह चार प्रकार का (5 से 8 तक) वचनप्रयोग, (9) औदारिकशरीरकायप्रयोग, (10) औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोग, (11) वैक्रियशरीरकायप्रयोग, (12) वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोग और (13) कार्मणशरीरकायप्रयोग। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org