________________ सोलहवाँ प्रयोगपद ] [217 एकेन्द्रियों, विकलेन्द्रियों और तिर्यंचपंचेन्द्रियों की प्रयोग सम्बन्धी प्ररूपणा-- 1080. पुढविकाइया णं भंते ! कि ओरालियसरीरकायप्पयोगी अोरालियमीससरीरकायप्पयोगी कम्मासरीरकायप्पनोगी? / गोयमा ! पुढविकाइया णं पोरालियसरीरकायप्पयोगी वि पोरालियमीससरीरकायप्पयोगी बि कम्मासरीरकायप्पयोगी वि। एवं जाव वणप्फतिकाइयाणं / णवरं वाउक्काइया वेउव्वियसरीरकायप्पयोगी विवेउब्वियमीससरीरकायपोगी वि / [1080 प्र.] भगवन् ! पथ्वीकायिक जीव क्या औदारिकशरीरकायप्रयोगो है, औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी हैं अथवा कार्मणशरीरकायप्रयोगी हैं ? / [1080 उ.] गौतम ! पृथ्वीकायिक जीव औदारिकशरीरकायप्रयोगी भी हैं, औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी भी हैं और कार्मणशरीरकायप्रयोगी भी हैं। इसी प्रकार प्रकायिक जीवों से ले कर यावत् वनस्पतिकायिकों तक (प्रयोग सम्बन्धी वक्तव्यता कहनी चाहिए / ) विशेष यह है कि वायुकायिक वैक्रियशरीरकायप्रयोगी भी हैं और वैक्रिय. मिश्रशरीरकायप्रयोगी भी हैं। 1081. बेइंदिया णं भंते ! किं पोरालियसरीरकायप्पयोगी जाव कम्मासरीरकायप्पयोगी ? गोयमा ! बेइंदिया सब्बे वि ताव होज्जा प्रसच्चामोसवइप्पयोगी वि ओरालियसरीरकाय. प्पयोगी वि ओरालियमीससरीरकायप्पभोगी वि, अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 2 / एवं जाव चरिदिया / [1081 प्र.] भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीव क्या औदारिकशरीरकायप्रयोगी हैं, अथवा यावत् कार्मणशरीरकायप्रयोगी हैं ? [1081 उ.] गौतम ! सभी द्वीन्द्रिय जीव असत्यामृषावचनप्रयोगी भी होते हैं, औदारिकशरीरकायप्रयोगी भी होते हैं, प्रौदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगो भी होते हैं / १---अथवा कोई एक (द्वीन्द्रिय जीव) कार्मणशरीरकायप्रयोगी होता है, २--या बहुत-से (द्वीन्द्रिय जीव) कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं / (त्रीन्द्रिय एवं) चतुरिन्द्रियों (की प्रयोग सम्बन्धी वक्तव्यता) भी इसी प्रकार (समझनी चाहिए।) 1082. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया जहा रइया (सु. 1078) / णवरं पोरालियसरीरकायप्योगी वि पोरालियमोससरीरकायप्पलोगो वि, अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पभोगिणो य 2 / [1082] पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों को प्रयोग सम्बन्धी वक्तव्यता (सू. 1078 में उल्लिखित) नैरयिकों की प्रयोगवक्तव्यता के समान कहना चाहिए / विशेष यह है कि यह (एक पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक) औदारिकशरीरकायप्रयोगी भी होता है तथा औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org