________________ 124] [प्रज्ञापनासूत्र [930 प्र.] भगवन् ! लेश्यापरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [930 उ.[ गौतम ! (लेश्यापरिणाम) छह प्रकार का कहा है। वह इस प्रकार--(१) कृष्णलेश्यापरिणाम, (2) नीललेश्यापरिणाम, (3) कापोतलेश्यापरिणाम, (4) तेजोलेश्यापरिणाम, (5) पालेश्यापरिणाम और (6) शुक्ललेश्यापरिणाम / 631. जोगपरिणाम णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते। तं जहा-मणजोगपरिणामे 1 वइजोगपरिणामे 2 कायजोगपरिणामे 3 [931 प्र. भगवन् ! योगपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है। [631 उ.] गौतम ! (योगपरिणाम) तीन प्रकार का है--(१) मनोयोगपरिणाम, (2) वचनयोगपरिणाम, और (3) काययोगपरिणाम / 932. उवयोगपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! दुबिहे पण्णत्ते / तं जहा—सागारोवप्रोगपरिणामे य प्रणागारोवप्रोगपरिणामे य / [632 प्र. भगवन् ! उपयोगपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [632 उ.] गौतम ! (उपयोगपरिणाम) दो प्रकार का कहा है--(१) साकारोपयोगपरिणाम और (2) अनाकारोपयोगपरिणाम / 633. गाणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! पंचविहे पणत्ते / तं जहा-प्राभिणिबोहियनाणपरिणामे 1 सुयणाणपरिणामे 2 प्रोहिणाणपरिणामे 3 मणपज्जवणाणपरिणामे 4 केवलणाणपरिणामे 5 / [633 प्र.] भगवन् ! ज्ञानपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [933 उ. गौतम ! (ज्ञानपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार-- (1) आभिनिबोधिकज्ञानपरिणाम, (2) श्रु तज्ञानपरिणाम, (3) अवधिज्ञानपरिणाम, (4) मन:पर्यवज्ञानपरिणाम और (5) केवलज्ञानपरिणाम / 634. अण्णाणपरिणामे भंते ! कतिविहे पण्णते? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते। तं जहा--मतिअण्णाणपरिणामे 1 सुयअण्णाणपरिणामे 2 विभंगणाणपरिणामे 3 / [934 प्र.] भगवन् ! अज्ञानपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [934 उ.] गौतम ! (अज्ञानपरिणाम) तीन प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार--- (1) मति-अज्ञानपरिणाम, (2) श्रु त-अज्ञानपरिणाम और (3) विभंगज्ञानपरिणाम ! 635. दसणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे घण्णते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते। तं जहा---सम्मइंसणपरिणामे 1 मिच्छादसणपरिणामे 2 सम्मामिच्छादसणपरिणामे 3 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org