________________ दसयाँ चरमपद ] प्रलोगस्स दवट्टयाए एगे अचरिमे, चरिमाइं असंखेज्जगुणाई, अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई, चरिमंतपदेसा असंखेज्जगुणा, प्रचरिमंतपदेसा अणंतगुणा, चरिमंतपएसा य प्रचरिमंतपएसा य दो दि विसेसाहिया। [776 प्र.] भगवन् ! अलोक के अचरम, चरमों, चरमान्तप्रदेशों और अचरमान्तप्रदेशों में से द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से एवं द्रव्य-प्रदेशों की अपेक्षा से कौन किनसे अल्प हैं, बहुत हैं, तुल्य हैं, अथवा विशेषाधिक हैं ? [779 उ.] गौतम ! द्रव्य की अपेक्षा से-सबसे कम अलोक का एक अचरम है। (उसकी अपेक्षा) असंख्यातगुणे (बहुवचनान्त) चरम हैं / अचरम और (बहुवचनान्त) चरम, ये दोनों विशेषाधिक हैं / प्रदेशों की अपेक्षा से- सबसे कम अलोक के चरमान्तप्रदेश हैं, (उनसे) अनन्तगुणे अचरमान्त प्रदेश हैं / चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश, ये दोनों विशेषाधिक हैं / द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से-सबसे कम अलोक का एक अचरम है। (उससे) बहुवचनान्त चरम असंख्यातगुणे हैं / अचरम और (बहुवचनान्त) चरम, ये दोनों विशेषाधिक हैं। (उनसे) चरमान्तप्रदेश असंख्यातगुणे हैं, (उनसे भी) अनन्तगुणे अचरमान्तप्रदेश हैं / चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश, ये दोनों विशेषाधिक हैं। 780. लोगालोगस्स णं भंते ! अचरिमस्स य चरिमाण य चरिमंतपएसाण य अचरिमंतपएसाण य दवयाए पदेसट्टयाए दन्वटुपएसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवे लोगालोगस्स दवट्टयाए एगमेगे अचरिमे, लोगस्स चरिमाइं असंखेज्जगुणाई, अलोगस्स चरिमाइं विसेसाधियाई, लोगस्स य अलोगस्स य अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाधियाई / पदेसट्टयाए सम्वत्थोवा लोगस्स चरिमंतपदेसा, अलोगस्स चरिमंतपदेसा विसेसाहिया, लोगस्स अचरिमंतपदेसा असंखेज्जगुणा, अलोगस्स अचरिमंतपदेसा अणंतगुणा, लोगस्स य अलोगस्स य चरिमंतपदेसा य अचरिमंतपदेसा य दो वि विसेसाहिया। दव्वटुपदेसट्टयाए सव्वत्थोवे लोगालोगस्स दस्वट्टयाए एगमेगे अचरिमे, लोगस्स चरिमाइं असंखेज्जगुणाई, अलोगस्स चरिमाई विसेसाहियाई, लोगस्स य अलोगस्स य अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई, लोगस्स चरिमंतपएसा असंखेज्जगुणा, अलोगस्स चरिमंतपएसा विसेसाहिया, लोगस्स अचरिमंतपएसा असंखेज्जगुणा, अलोगस्स अचरिमंतपएसा अणंतगुणा, लोगस्स य अलोगस्स य चरिमंतपएसा य अचरिमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया, सव्वदव्वा विसेसाहिया, सव्वपएसा अणंतगुणा, सव्वपज्जवा अणंतगुणा / [780 प्र.] भगवन् ! लोकालोक के अचरम, (बहुवचनान्त) चरमों, चरमान्तप्रदेशों और अचरमान्तप्रदेशों में द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से, द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से कौन, किनसे अल्प हैं, बहुत हैं, तुल्य हैं, अथवा विशेषाधिक हैं ? [780 उ.] गौतम ! द्रव्य की अपेक्षा से---सबसे कम लोकालोक का एक-एक अचरम है। (उसको अपेक्षा) लोक के (बहुवचनान्त) चरम असंख्यातगुणे हैं, अलोक के (बहुवचनान्त) चरम विशेषाधिक हैं, लोक और अलोक का अचरम और (बहुवचनान्त) चरम, ये दोनों विशेषाधिक हैं। प्रदेशों को अपेक्षा से सबसे थोड़े लोक के चरमान्तप्रदेश हैं. अलोक के चरमान्तप्रदेश विशेषाधिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org