________________ 56 ] [ प्रज्ञापनासूत्र __ [841 प्र.] भगवन् ! क्या मन्द कुमार अथवा मन्द कुमारिका यह जानती है कि ये मेरे माता-पिता हैं ? [841 उ.] गौतम ! संज्ञी (पूर्वोक्त अवधिज्ञानी अादि) को छोड़कर यह अर्थ समर्थ नहीं है। 842. ग्रह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणति अयं मे अतिराउले अयं मे अतिराउले ति? गोयमा ! णो इणठे समठे, णऽण्णस्य सणिणो / [842 प्र.] भगवन् ! मन्द कुमार अथवा मन्द कुमारिका क्या यह जानती है कि यह मेरे स्वामी (अधिराज) का घर (कुल) है ? [842 उ.] गौतम ! सिवाय संज्ञी (पूर्वोक्त अवधिज्ञानादि संज्ञायुक्त) के यह अर्थ समर्थ (शक्य) नहीं है। 843. अह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणति अयं मे भट्टिदारए अयं मे भट्टिदारए त्ति? गोयमा ! णो इणठे समठे, णऽग्णस्थ सणिणो / [843 प्र.] भगवन् ! क्या मन्द कुमार या मन्द कुमारिका यह जानती है कि यह मेरे भर्ता (स्वामी) का दारक (पुत्र) है / [843 उ.] गौतम ! संजो को छोड़कर यह अर्थ समर्थ नहीं है। 844. अह भंते ! उट्टे गोणे खरे घोडए अए एलए जाणति बुयमाणे प्रहमेसे बुयामि अहमेसे बुयामि ? गोयमा ! णो इणठे समठे, णऽण्णत्थ सणिणो। (844 प्र. भगवन् ! इसके पश्चात् प्रश्न है कि ऊंट, बैल, गधा, घोड़ा, बकरा और भेड़ (इनमें से प्रत्येक) क्या बोलता हुआ यह जानता है कि मैं यह बोल रहा हूँ ? मैं यह बोल रहा हूँ ? | [844 उ.] गौतम ! संज्ञी (विशिष्ट ज्ञानवान् या जातिस्मरणज्ञानी) को छोड़ कर यह अर्थ (अन्य किसी ऊंट आदि के लिए) शक्य नहीं है / 845. अह भंते ! उट्टे जाव एलए जाणति आहारेमाणे प्रहमेसे प्राहारेमि अहमेसे पाहारेमि ति? गोयमा ! णो इणठे समझें, णऽण्णत्थ सणिणो / [845 प्र.] भगवन् ! (अब यह बताएँ कि) उष्ट्र से लेकर यावत् एलक (भेड़) तक (इनमें से प्रत्येक) आहार करता हुया यह जानता है कि मैं यह आहार करता हूँ, मैं यह आहार कर रहा हूँ ? [845 उ.] गौतम ! सिवाय संज्ञी के, यह अर्थ समर्थ नहीं है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org