________________ दसवां चरमपद ] [ 33 संस्थान का एक अचरम सबसे कम है, (उसकी अपेक्षा) अनेक चरम संख्यातगुणे अधिक हैं, (उनसे) एक अचरम और बहुत चरम, ये दोनों (मिलकर) विशेषाधिक हैं, (उनकी अपेक्षा) अचरमान्तप्रदेश संख्यातगुणे हैं, (उनसे) अचरमान्तप्रदेश संख्यातगुणे हैं, (उनसे) चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश, ये दोनों (मिलकर) विशेषाधिक हैं / ___इसी प्रकार यावत् प्रायत तक के (चरमादि के अल्पबहुत्व के) विषय में (कथन करना चाहिए।) 804. परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स असंखेज्जपदेसियस्स असंखेज्जपएसोगाढस्स अचरि. मस्स य चरिमाण य चरिमंतपएसाण य अचरिमंतपएसाण य दवट्ठयाए पएसट्टयाए दवटुपएसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4 / __ गोयमा ! जहा रयणप्पभाए अप्पाबहुयं (सु. 777) तहेव गिरवसेसं भाणियव्वं / एवं जाव प्रायते। [804 प्र.] भगवन् ! असंख्यातप्रदेशी एवं असंख्यातप्रदेशावगाढ़ परिमण्डलसंस्थान के अचरम, अनेक चरम, चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश में से द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से और द्रव्य एवं प्रदेशों की अपेक्षा से कौन, किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? [804 उ.] गौतम ! जैसे रत्नप्रभा पृथ्वी के चरमादि का अल्पबहुत्व (सु. 777 में) प्रतिपादित किया गया है, वह सारा उसी प्रकार कहना चाहिए / इसी प्रकार (की प्ररूपणा) अायतसंस्थान तक (समझनी चाहिए।) 805. परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स प्रणंतपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स अचरिमस्स य 4 दव्वट्ठयाए 3 कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4 ? गोयमा ! जहा संखेज्जपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स (सु. 802) / णवरं संकमे अणंतगुणा / एवं जाव प्रायते। .. [805 प्र. भगवन् ! अनन्तप्रदेशी एवं संख्यातप्रदेशावगाढ़ परिमण्डलसंस्थान के अचरम, अनेक चरम, चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश में से द्रव्य की अपेक्षा, प्रदेशों की अपेक्षा एवं द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से कौन, किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? [805 उ.] गौतम ! जैसे (सू. 802 में) संख्यातप्रदेशावगाढ़ संख्यातप्रदेशी परिमण्डलसंस्थान के चरमादि के अल्पबहुत्व के विषय में कहा, वैसे ही इसके विषय में कहना चाहिए। विशेष यह है कि संक्रम में अनन्तगुणे हैं। इसी प्रकार (वृत्तसंस्थान से लेकर) यावत् आयतसंस्थान (तक कहना चाहिए / ) 806. परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स प्रणंतपएसियस्स असंखेज्जपएसोगाढस्स अचरिमस्स य४? जहा रयणप्पभाए (सु. 777) / णवरं संको अणंतगुणा / एवं जाव प्रायते / [806 प्र.] भगवन् ! अनन्तप्रदेशी एवं असंख्यातप्रदेशावगाढ़ परिमण्डल संस्थान के अचरम, अनेक चरम, चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश में से द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से तथा द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से कौन, किससे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org